हिंदी कहानी: आशंकाओं के बादल
हिंदी कहानी: आशंकाओं के बादल नव्या कॉलेज के लिए तैयार होकर घर से निकलने लगी, तो मैं अपलक उसे निहारती रह गई. दिनों दिन उसका निखरता सौंदर्य देख जहां मेरा मन प्रसन्न होता, वहीं एक अनजानी सी आशंका और भय की परछाई मन की धरती को अपने आगोश में समेटने का प्रयास करने लगती. समाज