Hindi Short Stories:
जब नए स्कूल में आए तो वो पहली नज़र ही में मुझे अच्छी लगी । बातों का सिलसिला चल निकला । मैंने देखा वो कुछ खा रही थी । वो जर्दा वाली गंध आ रही थी । मैंने कहा जो खा रही हो वो थोड़ा मुझे भी दो । बड़ी अदा से मुस्कुराते ही कहा – बच्चे नहीं खाते । मैंने कहा -अरे दे ना थोड़ा सा , एक चुटकी । उसने दे दिया ।
दूसरे दिन खोज कर माँगा ।
उसने गोल – गोल आँखें तरेर कर मुझे डाँटा , मैं चुपचाप खड़ी रही , फिर उसने बड़े प्यार से दे दिया । पर चेतावनी दी कि कल नहीं माँगना । मैंने कहा – कल किसने देखा है ।
स्कूल समय पर पहुँचने के लिए तेज़- तेज़ कदमों से चल रह थी कि वो मिल गई । कह-जरा धीरे चल । अभी पाँच मिनट का समय है । फिर मैंने उसका चेहरा देखा बड़ी उदास थी / मैंने पूछा क्या हुआ ?
कहने लगी एक परेशानी हो तो कहूँ । एक तो बच्चा नहीं हो रहा है , इसके लिए दस तरह के परीक्षण । मेरे मुँह से अचानक निकला – मैं आ गई हूँ । अब ज़रूर होगा । मेरे पाँव बड़े शुभ हैं । चार महीने बाद सुना कि स्वाति माँ बनने वाली है । मेरे ख़ुशी का ठिकाना ना रहा ।
बेटी के अन्नप्रासन में हम दोनों पति – पत्नी को बुलाया । बड़ी प्यारी बेटी है उसकी । जब छह महीने की थी तो बेटी को लेकर मेरे घर आयी थी । बेटी दोनों पैर से बारी – बारी पायल छनका रही थी । ये अदा मैंने बच्चों में पहली बार देखी थी । मैंने कहा – तेरी बेटी कलाकार बनेगी ।
फिर जब वो स्कूल में आयी तो मैंने उस बच्चे का बहुत ख़्याल रखा ।
समय बीतता गया और दोनों रिटायर हुए । बेटी बिज़नेस मैनेजमेंट देहरादून से की तब स्वाति चौधरी पूरे समय बेटी के साथ रही । बेटी को कभी अकेले नहीं छोड़ती थी । बेटी को कोलकाता की ही एक कंपनी में काम मिल गया और सब कुछ ठीक – ठाक चल रहा था कि पता चला कि स्वाति चौधरी को ब्रेन ट्यूमर है ।चैनई के अस्पताल में जाकर आपरेशन करना पड़ा ।
तीन मई २०२१ में मेरी प्यारी सहेली स्वाति चौधरी गुज़र गईं । मात्र तेईस वर्ष की बेटी शालिनी चौधरी के सामने असंख्य चुनौतियाँ मुँह बाएँ खड़ी थीं ।
एक दिन शालिनी ने बताया कि पापा चेक पर साइन नहीं करते हैं और मम्मी का पापा के साथ ज्वांइनट एकाउन्टस था इसलिए पैसा नहीं निकाल पा रही हूँ और लौकर खुलवा नहीं पा रही हूँ ।
मुझे बड़ी चिन्ता हुई । एक तो बच्चा अकेला / नब्बे वर्ष की दादी / मानसिक रूप से अस्वस्थ पिता / निकम्मा कज़िन के साथ जी रही मेरी प्यारी छात्रा शालिनी । मैंने सर ऊपर उठाया , ईश्वर को शिकायत की कि आपने स्वाति को उठाकर घोर अन्याय की । शालिनी का कहना था कि बैंक वाले उसे ख़ूब घूमा रहे हैं ।
ईश्वर ने एक उम्मीद की किरण दिखाई कि मिसेज़ यादव का बेटा मुम्बई से कोलकाता जेनरल मैनेजर के पद पर एसबीआई में आया है । फिर मैंने उनके बेटे को पूरी बात बताई । शालिनी को उसका नम्बर दिया । कहाँ जाकर उनके आफ़िस में पूरी बात बताना ।
शालिनी गई । अब बैंक वाले ही उसे फ़ोन कर बुलाने लगे और हर काम सुलझाने लगे । शालिनी का कहना है कि मानो चमत्कार हो गया और हर अटका हुआ काम पूरा हो गया ।
मैंने आकाश की ओर सर किया और कहा स्वाति शांति से रहना । हमने दोस्ती निभाई है ।
Hindi short Stories दोस्ती से ऊपर
जब नए स्कूल में आए तो वो पहली नज़र ही में मुझे अच्छी लगी । बातों का सिलसिला चल निकला । मैंने देखा वो कुछ खा रही थी । वो जर्दा वाली गंध आ रही थी । मैंने कहा जो खा रही हो वो थोड़ा मुझे भी दो । बड़ी अदा से मुस्कुराते ही कहा – बच्चे नहीं खाते । मैंने कहा -अरे दे ना थोड़ा सा , एक चुटकी । उसने दे दिया ।
दूसरे दिन खोज कर माँगा ।
उसने गोल – गोल आँखें तरेर कर मुझे डाँटा , मैं चुपचाप खड़ी रही , फिर उसने बड़े प्यार से दे दिया । पर चेतावनी दी कि कल नहीं माँगना । मैंने कहा – कल किसने देखा है ।
स्कूल समय पर पहुँचने के लिए तेज़- तेज़ कदमों से चल रह थी कि वो मिल गई । कह-जरा धीरे चल । अभी पाँच मिनट का समय है । फिर मैंने उसका चेहरा देखा बड़ी उदास थी / मैंने पूछा क्या हुआ ?
कहने लगी एक परेशानी हो तो कहूँ । एक तो बच्चा नहीं हो रहा है , इसके लिए दस तरह के परीक्षण । मेरे मुँह से अचानक निकला – मैं आ गई हूँ । अब ज़रूर होगा । मेरे पाँव बड़े शुभ हैं । चार महीने बाद सुना कि स्वाति माँ बनने वाली है । मेरे ख़ुशी का ठिकाना ना रहा ।
बेटी के अन्नप्रासन में हम दोनों पति – पत्नी को बुलाया । बड़ी प्यारी बेटी है उसकी । जब छह महीने की थी तो बेटी को लेकर मेरे घर आयी थी । बेटी दोनों पैर से बारी – बारी पायल छनका रही थी । ये अदा मैंने बच्चों में पहली बार देखी थी । मैंने कहा – तेरी बेटी कलाकार बनेगी ।
फिर जब वो स्कूल में आयी तो मैंने उस बच्चे का बहुत ख़्याल रखा ।
समय बीतता गया और दोनों रिटायर हुए । बेटी बिज़नेस मैनेजमेंट देहरादून से की तब स्वाति चौधरी पूरे समय बेटी के साथ रही । बेटी को कभी अकेले नहीं छोड़ती थी । बेटी को कोलकाता की ही एक कंपनी में काम मिल गया और सब कुछ ठीक – ठाक चल रहा था कि पता चला कि स्वाति चौधरी को ब्रेन ट्यूमर है ।चैनई के अस्पताल में जाकर आपरेशन करना पड़ा ।
तीन मई २०२१ में मेरी प्यारी सहेली स्वाति चौधरी गुज़र गईं । मात्र तेईस वर्ष की बेटी शालिनी चौधरी के सामने असंख्य चुनौतियाँ मुँह बाएँ खड़ी थीं । एक दिन शालिनी ने बताया कि पापा चेक पर साइन नहीं करते हैं और मम्मी का पापा के साथ ज्वांइनट एकाउन्टस था इसलिए पैसा नहीं निकाल पा रही हूँ और लौकर खुलवा नहीं पा रही हूँ ।
मुझे बड़ी चिन्ता हुई । एक तो बच्चा अकेला / नब्बे वर्ष की दादी / मानसिक रूप से अस्वस्थ पिता / निकम्मा कज़िन के साथ जी रही मेरी प्यारी छात्रा शालिनी । मैंने सर ऊपर उठाया , ईश्वर को शिकायत की कि आपने स्वाति को उठाकर घोर अन्याय की । शालिनी का कहना था कि बैंक वाले उसे ख़ूब घूमा रहे हैं ।
ईश्वर ने एक उम्मीद की किरण दिखाई कि मिसेज़ यादव का बेटा मुम्बई से कोलकाता जेनरल मैनेजर के पद पर एसबीआई में आया है । फिर मैंने उनके बेटे को पूरी बात बताई । शालिनी को उसका नम्बर दिया । कहाँ जाकर उनके आफ़िस में पूरी बात बताना ।
शालिनी गई । अब बैंक वाले ही उसे फ़ोन कर बुलाने लगे और हर काम सुलझाने लगे । शालिनी का कहना है कि मानो चमत्कार हो गया और हर अटका हुआ काम पूरा हो गया ।
मैंने आकाश की ओर सर किया और कहा स्वाति शांति से रहना । हमने दोस्ती निभाई है ।