Inspirational Story in Hindi | बहु ये तुम्हारा ससुराल है

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Inspirational Story in Hindi बहु ये तुम्हारा ससुराल है

Inspirational Story in Hindi: शादी के बाद यह पहली दिवाली। रूशाली बहुत खुश थी। उसे तो बचपन से ही वैसे भी दिवाली का त्यौहार बहुत पसंद था। पटाखों का शौक तो नहीं था, पर रंग-बिरंगी रोशनी से सजी हुई दिवाली और ढेर सारी मिठाइयां।

मीठे के शौकीन तो वह बहुत थी और दिवाली ऐसा त्यौहार था, जहां कई तरह की मिठाइयां खाने को मिल जाती थी।

रूशाली का ससुराल संयुक्त परिवार है। घर में सास ससुर, दो बड़े जेठ जेठानी, उनके दो-दो बच्चे, पति और खुद रूशाली।

जब इतने लोग परिवार में हो तो रौनक तो लगेगी ही। ऐसा ही माहौल रूशाली के ससुराल में था। मिठाइयों की तैयारियां भी दो-तीन दिन पहले से ही शुरू हो गई थी।

एक तो घर की इतनी मिठाइयां, ऊपर से आने जाने वाले लोग भी मिठाइयों के डिब्बे दे रहे हैं। खुद रूशाली के मायके से काफी सारी मिठाई आ गई, जिसे देख देख कर उसका मन ललचाने लगा। पर यह क्या???

सासु मां ने सारी मिठाइयां एक तरफ रख दी। घर के बच्चों को और पुरुषों को मिठाई खाने को दे दी। यहां तक कि आए गए मेहमानों को भी मिठाई खाने को मिली और उनके साथ सासू मां ने खुद अपना मुंह मीठा कर लिया, लेकिन मजाल है बहूओं को खाने को दी हो।

रूशाली जब अपनी जेठानियों के साथ खाना खाने बैठी तो इस बारे में उसने अपनी दोनों जेठानीयों को कहा। पर उन्होंने उसे चुप रहने के लिए कहा,

” अरे नहीं नहीं, मम्मी जी बुरा मान जाएगी। इस घर का नियम है। घर के पुरुषों और बच्चों को मिठाईयाँ मिल जाती है, मेहमानों को मिल जाती है लेकिन बहुओं के हिस्से तो बची कुची मिठाई आती है। वह भी दो-तीन दिन बाद”

” अरे इतनी सारी मिठाई है अगर हम थोड़ी सी खा लेंगे तो कुछ बिगड़ जाएगा क्या?? आखिर बनाने वाले भी तो हम लोग हैं”

” मम्मी जी का गुस्सा बहुत तेज है। और फिर हमें और हमारे पीहर वालों को दो बातें सुनाएगी। इससे तो नहीं खाए तो ही अच्छा है”

” पर इसमें तो कई मिठाई हमारे पीहर वालों की ही तो दी हुई है”

” हां उन्होंने दी जरूर है पर उसे खाने का हक हमारा नहीं है। देखा नहीं था तुमने, मम्मी जी खुद भी अपनी थाली में भी मिठाई नहीं ले रही थी”

” कैसी बात कर रहे हो भाभी? मम्मी जी तो खुद मेहमानों के साथ बैठकर मिठाइयों का आनंद ले रही है। अब खाना खाते समय थाली में मिठाई नहीं ले रही तो क्या फर्क पड़ गया। उन्होंने तो मिठाई खा ली। और हमें एक टुकड़ा मिठाई तक का नहीं दिया गया। यह भी कोई बात हुई भला। तो क्या आप दिवाली पर मिठाई नहीं खाते हो”

” खाते हैं हमारे पतियों की बदौलत क्योंकि वो एक मिठाई का डिब्बा लाकर चुपचाप कमरे में रख देते हैं जिसे हम अपने कमरे में ही खा लेते हैं”

” पर यह तो गलत है। हमें अपने ही घर में चोरी छुप कर खाना पड़ रहा है”

” बुरा तो बहुत लगता है, पर क्या करें? जो इंसान समझना ही नहीं चाहता, उसका क्या कर सकते हैं?”दोनों जेठानी ने अपने अस्त्र डालते हुए कहा।

इतनी देर में रूशाली के पति वरुण का दोस्त और उसकी पत्नी उनसे मिलने आए। उन्होंने रूशाली को अपने पास ही बिठा लिया। सास ससुर सब वहीं बैठे हुए थे। सासु मां सबको मनुहार करके मिठाई खिला रही थी, लेकिन रूशाली से पूछा तक नहीं।

इतने में वरुण के दोस्त की पत्नी ने एक मिठाई का टुकड़ा लेकर रूशाली के मुंह में जबरदस्ती रख दिया, यह कहते हुए कि भाभी तो मिठाई खा ही नहीं रही है।

वहाँ तो सासु मां ने कुछ नहीं कहा लेकिन उनके जाने के बाद तो रूशाली की शामत ही आ गई।

” क्या जरूरत थी तुम्हें वहां मिठाई खाने की? मना नहीं कर सकती थी”

“पर मम्मी जी, मेरी गलती कहाँ है? भाभी जी ने जबरदस्ती मिठाई का टुकड़ा मेरे मुंह में डाल दिया”

“अच्छा, उसने मिठाई का टुकड़ा मुंह में डाल दिया और तुमने चुपचाप खा लिया। बहू यह मत भूलो कि यह तुम्हारा ससुराल है। ससुराल के अपने कायदे होते हैं। अब खड़ी खड़ी देख क्या रही हो? जाओ अंदर। आगे से ध्यान रखना”

सासू मां के बात सुन कर उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह चुपचाप कमरे में आ गई। पर उसे दुख इस बात का था कि घर में किसी ने भी उसका पक्ष नहीं लिया। आखिर एक मिठाई का टुकड़ा ही तो था जिसके पीछे इतना सुना दिया गया।

शाम  को सासू मां के मायके वाले उनसे मिलने आए तो उनके खाना परोसा गया, साथ में मिठाईयाँ भी। सासु मां भी साथ में खाना खाने बैठी और खाना रूशाली ही परोस रही थी। पर यह क्या? रूशाली ने सबकी थाली में मिठाइयां परोसी, पर सासू मां की थाली में नहीं। यह देखकर मामी जी ने कहा

“अरे बहू, तुम अपनी सास को मिठाई परोसना भूल गई”

” जी, मम्मी जी तो मिठाई नहीं खाती”

“अरे ऐसे कैसे नहीं खाती? उसे तो मिठाई बहुत पसंद है”

इतने में सासू मां भी बोल पड़ी,

” मैंने कब कहा कि मुझे मिठाइयां पसंद नहीं है”

 आपने सुबह कहा था ना कि ये ससुराल है यहां मैं मिठाईयां पूछे बगैर नहीं खा सकती। तो मुझे लगा कि यह आपका भी ससुराल है तो शायद आप भी नहीं खा सकते हो। इस घर का नियम है ना कि बहू को मिठाई नहीं दी जाती”

रूशाली का ऐसा जवाब सुनकर सासु माँ झेंप गई और अपने भाई भाभी के सामने उनकी निगाहें नीचे हो गई। वही ससुर जी सासू मां को गुस्से में देख रहे थे। आखिर वो बात संभालते हुए बोले,

” अरे रूशाली तुम्हें गलतफहमी हुई होगी। इस घर में कभी किसी को खाने पीने के लिए रोका नहीं गया है। अब जल्दी करो बहुत भूख लगी है”

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” जी पापा जी”

ऐसा कहकर रूशाली खाना परोसने लगी। सासू मां चुपचाप निगाहे नीचे कर खाना खा रही थी, वही ससुर जी अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए खाना खा रहे थे।

पर वो दिन था और आज का दिन है। कभी किसी बहू को मिठाई खाने के लिए रोका नहीं गया। क्योंकि अब ससुर जी खुद इस बात का ध्यान देते हैं कि बहुओं के खाने पीने पर रोक-टोक तो नहीं है।

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