Hindi Desi Kahani House wife: सच्चाई में थोड़ा सा कल्पना का तड़का है आज की मेरी कहानी, शीर्षक है ….!! House Wife दोस्तो वैसे तो कहानी काल्पनिक होती हैं या फिर दैनिक जीवन में किसी न किसी के जीवन से मेल खा ही जाती हैं।
Hindi Desi Kahani House wife
सुरेश शर्मा नगर मोहन गुप्ता जी के घर में थोड़ी खुशी थोड़ी चिंता की हलचल है।। आज मोहन जी की लड़की शिवानी को देखने वाले आ रहे हैं।। उधर राजेंद्र नगर में पवन अपने मम्मी-पापा के साथ लड़की देखने जाने के लिए तैयार हो रहा है।।
तीनों तैयार भी हो रहे हैं और अपने अपने कमरे से जोर-जोर से बातें भी कर रहे हैं।। पवन की मम्मी– बस लड़की अच्छी हो हमें तो हाउसवाइफ चाहिए, पवन को बढ़िया सा खाना बना कर खिलाती रहे।।
बिल्कुल सही कह रही हो सुषमा।। भगवान का दिया सब कुछ है।। बेंगलुरु में पवन की सॉफ्टवेयर इंजीनियर की शानदार नौकरी और शानदार सैलरी।। अपना घर है और मुझे अच्छी खासी पेंशन आती है।। अकेला लड़का है अपना, मेरा कमाया सब कुछ उसी का तो है।।
मम्मी पापा वह सब तो सही है पर मुझे पढ़ी-लिखी हाउसवाइफ चाहिए अनपढ़ या इंटर पास नहीं।। हां हां पढ़ी-लिखी लड़की ही देखने चल रहे हैं।। m.a. इंग्लिश है।। यह शिवानन्द महाराज जी कहां रह गए।। हम लोग तो उनसे बिना पूछे कोई कदम उठाते नहीं है।।
अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था जाने में देर हो रही है।। इतनी देर में महाराज राधे-राधे करते हुए घर में घुस जाते हैं।। चारों कार में बैठकर सुरेश शर्मा नगर चल देते हैं।।
कार में भी चारों बातें करते हुए जाते हैं।। बस पवन को लड़की पसंद आ जाए तो जल्दी से धूमधाम से शादी कर दे।। हमारे घर में तो एक ही शादी होनी है बहुत धूमधाम से करेंगे।।2 महीने का और work-from-home रह गया है।। जून में कंपनी ने बेंगलुरु वापस बुला लिया है।
सुषमा जी वही होगा जो राधे कृष्ण को मंजूर होगा।। राधे राधे।। शिवानी थी ऐसी कि देखते ही सभी को पसंद आ गई।। शिवानंद महाराज जन्मपत्री मिलाने लगे।।
पवन और शिवानी घर की छत पर जा कर बातें करने लगे।। दोनों ने एक दूसरे की हॉबी पूछी और जनरल बातें करने लगे।। शिवानी– शादी की तारीख 2 मई के बाद रखना। 27 अप्रैल से 2 मई तक मेरे एग्जाम है।।और पढ़ाई मेरे लिए अहम है।। दोनों बातें करते हुए नीचे आ जाते हैं।।
शिवानंद महाराज अपना verdict सुनाते हैं।। दोनों की जन्मपत्री तो ऐसे मेल खा रही है जैसे एक दूसरे की देख कर बनाई हो।। बहुत खुशहाल जीवन रहेगा।। 22 अप्रैल का मुहूर्त निकल रहा है।
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उसके बाद 1 साल तक इन दोनों की शादी का कोई मुहूर्त पतरा नहीं बता रहा।। पवन घबराकर बोलता है, महाराज 2 मई के बाद का कोई मुहूर्त निकालें।।
27 अप्रैल से 2 मई तक शिवानी के एग्जाम है।। पवन जी मैं कोई अपने मन से मुहूर्त नहीं निकालता जन्मपत्री और पतरा जो कह रहा है मैंने आपको बता दिया बाकी आपकी मर्जी।।पवन की मम्मी– 22 अप्रैल को शादी में क्या दिक्कत है।। हमें कौन सा शिवानी से नौकरी करवानी है।। जैसे तैसे अपने एग्जाम दे लेगी, पास तो हो ही जाएगी।। हमें तो हाउसवाइफ ही चाहिए।
शिवानी के मम्मी पापा भी पूरी तरह से तैयार थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इतना बढ़िया रिश्ता हाथ से निकले।। 1 दिन का समय मांग कर चारों वापस राजेंद्रनगर आ जाते हैं।। ऊपर छत पर पवन और शिवानी ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया था।
रात को पवन शिवानी को फोन करता है।। बस अब एक ही तरीका है।। बिल्कुल सादी शादी की जाए ताकि तुम्हें पढ़ने और एग्जाम देने का पूरा समय मिल जाए।। 3 मई को हनीमून के लिए शिमला चला जाए और वही सुहागरात मनाई जाए।
पर पवन मम्मी पापा के सपनों मतलब कि धूमधाम से शादी का क्या होगा।।मम्मी पापा को मैं मना लूंगा यदि तुम तैयार हो।। जैसा तुम सही समझो पवन।। पवन सब मैनेज कर लेता है और शादी हो जाती है।। शिवानी अपनी किताबों के साथ अपनी ससुराल आ जाती है।।
एग्जाम भी बहुत अच्छे होते हैं और दोनों 3 मई को शिमला हनीमून और सुहागरात मनाने के लिए निकल जाते हैं।। हनीमून से लौटकर कुछ दिन घर पर रहकर पवन और शिवानी बेंगलुरु आ जाते हैं और 1 जून को पवन ऑफिस ज्वाइन कर लेता है।। दोनों बहुत खुश हैं, समय तेजी से बीत रहा है।। शिवानी अंग्रेजी में पीएचडी भी कर लेती है।। और शादी के 3 साल बाद उनके एक प्यारी सी बिटिया जन्म लेती है।
शादी को 5 साल हो जाते हैं कि अचानक एक दिन पवन के ऑफिस से शिवानी को फोन आता है।। पवन अचानक से कुर्सी पर बैठे-बैठे चक्कर खाकर गिर गए।। हम उन्हें चिनप्पा हॉस्पिटल लेकर जा रहे हैं आप भी वही पहुंचो।। शिवानी रोती बिलखती हुई अपनी बिटिया के साथ हॉस्पिटल पहुंच जाती है वहां जाकर पता चलता है पवन को पैरालिसिस का अटैक हुआ है।।
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अगले दिन पवन के पापा भी बेंगलुरु पहुंच जाते हैं, 10 दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद सभी लोग वापस बरेली आ जाते हैं।। पैरालाइसिस दाईं तरफ हुआ था इसलिए पवन लैपटॉप को चलाने में असमर्थ था पर समय से ट्रीटमेंट मिलने के कारण उसकी सेहत में काफी सुधार था।
प्राइवेट कंपनी कब तक साथ देती हैं 2 महीने बाद पवन की नौकरी भी चली गई।। बीमारी का खर्चा और नौकरी का जाना मतलब कि double टेंशन।। फिर कुछ दिन बाद अखबार में इनवर्टिस यूनिवर्सिटी का इंग्लिश के लेक्चरर के लिए एडवर्टाइजमेंट निकलता है।।
शानदार एकेडमिक रिकॉर्ड होने के कारण शिवानी की नौकरी लग जाती है।। 1 साल के अंदर ही अपनी विल पावर और ट्रीटमेंट के कारण पवन भी पैरालाइसिस से काफी रिकवर कर लेता है।। वह भी घर बैठ कर ही सॉफ्टवेयर बनाने के ठेके लेने लगता है और उसका काम भी अच्छा चल निकलता है।। पवन और शिवानी की खुशियां धीरे-धीरे वापस लौट आती है।।
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