Hindi Kahani : दोहरा व्यवहार

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Hindi kahani: दीप्ति फटाफट रसोई का काम निपटा कर अपने कमरे में आ गई। आज उसे सोमेश के साथ मूवी देखने जाना था। इसलिए सास जानकी जी और ननद सपना का खाना तैयार कर वो अपने कमरे में आई थी। देवर देवरानी मनीष और नेहा तो आज बाहर ही डिनर करके आने वाले थे।


सोमेश उसके लिए खास अनारकली सूट लेकर आया था। आज उसी को पहन कर वो तैयार होने वाली थी। शादी के आठ साल बाद उसे सूट पहनने को मिलेगा, सोच सोच कर ही वो बहुत खुश हो रही थी। वरना तो वो हमेशा साड़ी में ही रही है।


तैयार होने के बाद वो अपने आपको आईने में निहार ही रही थी कि बाहर से सोमेश की आवाज आई। दीप्ति फटाफट अपने कमरे के बाहर आई तो जानकी जी ने उसे देखकर टोक दिया,


” अरे ये क्या बड़ी बहू, ये क्या पहना है तुमने। ये तो तुम पर बिल्कुल नहीं जँच रहा। ऐसे अनारकली सूट में तो सिर्फ छोटी बहू नेहा ही अच्छी लगती है। तुम्हें देखो और एक उसे देखो। कहाँ तुम्हारी थुलथुल काया और कहाँ मेरी छोटी बहू की मोहिनी काया। तुम कहां उसकी बराबरी कर रही हो”


कहते हुए जानकी जी जोर से हंस दी। उनकी बात सुनकर दीप्ति का चेहरा उतर गया। लेकिन ननद भी कहां पीछे रहने वाली थी। आखिर वो भी बोली,


” क्या भाभी, आपकी शादी को दस साल हो गए हैं। और आप अभी दस महीने पहले आई छोटी भाभी से कांपटीशन कर रही हो। छोटे भाई भाभी का तो घूमना बनता है। लेकिन आपको इस उमर में क्या शौक चढ़ा है। जो अपने दोनों बच्चों को छोड़ कर बेपरवाह लोगों की तरह घूमने जा रहे हो। बुरा मत मानना लेकिन गलत तो नहीं बोल रहे है हम। लोग बातें बनाएँगे आपके बारे में”


” अरे बहू कहां अपनी नाक कटवाने में तुली हुई हो। एक बहु तो साड़ी में ही सुंदर लगती है। ऊपर से तुम अनारकली सूट पहन रही हो। और बेवजह मूवी देखने में पैसे खर्च कर रही हो। अरे ये सब तो आजकल के चोचले है। तुम कहां इन सब में पड़ रही हो। मुझे तो ये सब बिल्कुल पसंद नहीं”
जानकी जी ने अपने मन की बात कह दी।


ये बात अंदर आते हुए दीप्ति के पति सोमेश ने सुन ली।
अंदर आते ही वो बोला,
” क्या हुआ दीप्ति, तुम अभी तक यहीं खड़ी हो। मैं कब से तुम्हारा बाहर इंतजार कर रहा हूं। चलो भाई, देर हो रही है”


उसे देखते ही उदास होकर दीप्ति बोली,
” मैं साड़ी पहन कर आती हूं”
“क्यों, सूट में क्या बुराई है? कोई रिश्तेदारी में थोड़ी ना जा रहे हैं। मूवी देखने ही तो जा रहे हैं। अच्छी तो लग रही हो। दूसरों की नजर से खुद को मत देखो। मुझे तुम अच्छी लग रही हो। बस यही काफी है। अब चलो भी”
कहते हो हुए सोमेश ने एक बार जानकी जी और सपना की तरफ देखा और दीप्ति को लेकर रवाना हो गया। उन दोनों के जाने के बाद सपना जानकी जी से बोली,


” यह क्या है मम्मी? ये बड़ी भाभी को इस उम्र में क्या शौक चढ़ आया है। तीन दिन की छुट्टी क्या पड़ी, अपने दोनों बच्चों को नानी के यहाँ भेज कर न्यूली मैरिड की तरह मूवी देखने चली गयी और भैया भी उन्हीं का पक्ष ले रहा है”
सपना की बात सुनकर जानकी जी बोली,


” बेटा खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। अभी नई बहू को देख देख कर इन लोगों का सिर आसमान में घूम रहा है। पर तू फिक्र मत कर, इन्हें जमीन पर लाना मुझे आता है। फिलहाल हम तो खाना खाते हैं”
अभी दोनों मां बेटी खाना खाकर उठी ही थी कि इतने में मनीष और नेहा भी घर आ गए। उन दोनों को देखकर सपना बोली,


” अरे भैया भाभी, आप लोग इतनी जल्दी कैसे आ गए? आप लोग तो डिनर करने जाने वाले थे ना”
उसकी बात सुनकर नेहा गुस्से से मनीष की तरफ देखते हुए बोली,
” हां जाने वाले तो थे लेकिन मनीष का पेट गड़बड़ हो रहा है। इसलिए उसने जाने से मना कर दिया। बोल रहा है कि घर का ही खाना खाएगा। इसलिए प्रोग्राम कैंसिल हो गया”
उसकी बात सुनकर जानकी जी बोली,


” हां तो गलत थोड़ी ना कह रहा है। जब पेट गड़बड़ कर रहा है तो बाहर का खाना कहां हजम हो पाएगा। पर हम लोग अभी खाना खाकर उठे हैं इसलिए खाना तो खत्म हो गया है। एक काम करो, तुम अपने लिए खाना बना लो”
जानकी जी की बात सुनकर नेहा चिढ़ते हुए बोली,
” मम्मी जी भाभी को फोन करके बोला तो था कि हमारे लिए भी खाना बना लेना। फिर हमारे लिए खाना नहीं बनाया क्या”


” क्या! तुमने भाभी को खाना बनाने के लिए कहा था, फिर भी भाभी ने खाना नहीं बनाया? यह तो गलत बात है”
सपना बीच में ही बोल पड़ी
” अगर नहीं बनाया है तो अब बना देगी। मम्मी जी मेरा मूड नहीं है खाना बनाने का। आप प्लीज भाभी को बोल दीजिए ना”
” अरे वो कहां खाना बनाएगी? वो तो अपने पति के साथ मूवी देखने गई है”
जानकी जी ने हाथ नचाते हुए कहा। उनकी बात सुनकर नेहा जोर से हंस दी,
” हे भगवान! यहां हम लोगों के प्लान कैंसिल हो रहे हैं और भाभी भैया के साथ मूवी देखने गई है। इस उम्र में उन्हें ये सब सूझ रहा है। घोर कलयुग है”


उसकी बात सुनकर मनीष बोला,
” नेहा, भाभी के बारे में बात करने से अच्छा है कि तुम खिचड़ी ही बना लो। एक तो तुमने कितना लेट फोन किया था। तब तक तो शायद भाभी खाना बना भी चुकी होगी। ऊपर से उनकी पूरी बात सुनी भी नहीं। शायद उसे समय तो वो भैया के साथ रवाना भी हो चुकी होगी। अब बातें करने से अच्छा है कि जाकर खिचड़ी चढ़ा दो”
” हां हां जा रही हूं। अब तो खिचड़ी ही बनानी पड़ेगी। पर मैं अपने लिए पिज़्ज़ा ऑर्डर कर रही हूं। मुझे नहीं खाना ये खिचड़ी विचड़ी”


तमतमाती हुई नेहा रसोई में चली गई और कुकर में खिचड़ी चढ़ा दी। और वही किचन में खड़े-खड़े अपने लिए पिज्जा भी ऑर्डर कर लिया। थोड़ी देर बाद खिचड़ी बनकर तैयार हो गई और पिज़्ज़ा भी आ गया। नेहा और मनीष ने अपना-अपना खाना खाया और हाॅल में सब के साथ आकर बैठ गए।

रात को 9:00 बजे सोमेश और दीप्ति घर लौटे। सोमेश तो सीधा अपने कमरे में चला गया, लेकिन दीप्ति वही उन लोगों के साथ आकर बैठ गई। इतने में मनीष ने कहा,
” और भाभी, कैसी रही आपकी मूवी? शादी के बाद पहली बार भैया के साथ मूवी देखने गई हो आप। तो कैसा रहा आपका एक्सपीरियंस”


मनीष की बात सुनकर दीप्ति मुस्कुरा दी। इतने में उसे सूट में देखकर नेहा तंज कसते हुए बोली,
“क्या भाभी, आप तो साड़ी में ही अच्छी लगती हो। ये क्या पहन लिया आपने। आप पर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा। ये तो दुबली पतली लड़कियों पर ही अच्छा लगता है”
नेहा की बात सुनकर दीप्ति बोली,


” कोई बात नहीं नेहा। तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा तो ना सही, पर मेरे पति को और मुझे तो अच्छा लग रहा है। बस वही काफी है”
कहकर दीप्ति वहां से उठकर अपने कमरे में चली गई। उसे जाता देखकर मनीष बोला,
” नेहा सोच समझ कर तो बोला करो। भाभी तुमसे उम्र में कितनी बड़ी है”
कहकर मनीष भी अपने कमरे में चला गया। नेहा जानकी जी से बोली,
” देखा आपने मम्मी जी। भाभी के तो सुर ही बदलने लगे हैं”
उसके बात सुनकर जानकी जी बोली,


” हां, मुझे भी दिख रहा है छोटी बहू। आजकल बड़ी बहू के सुर बहुत बदलने लगे हैं। भूल गई है कि इस घर की बड़ी बहू है। खैर, तुम फ़िक्र मत करो। मुझे उसे याद दिलाना अच्छे से आता है”
कह कर सब अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। दूसरे दिन सुबह दीप्ति उठकर अपने रोज के कामों में लग गई। नाश्ता तैयार हो गया तो सब लोग नाश्ता करने बैठे। रोज सबको नाश्ता खिलाकर खाने वाली दीप्ति आज उन लोगों के साथ नाश्ता करने बैठ गई। ये देख कर जानकी जी बोली,
” अरे बहु, तुम कहां बैठ रही हो? हमें नाश्ता कौन परोसेगा”


उनकी बात सुनकर दीप्ति ने कहा,
” मम्मी जी मैं नाश्ता डोंगे में भर के ले आई हूं। जिसको जो चाहिए, यही से ले लेगा। फिलहाल मुझे बहुत भूख लग रही है”
उसकी बात सुनकर जानकी जी का पारा चढ़ गया,
” देख रही हूँ आजकल तुम्हारे रंग-ढंग बहुत बदलने लगे हैं। अपने आप को छोटी बहू के बराबर समझ रही हो। अरे वो तो बच्ची है इसलिए नाश्ता करने बैठ जाती है। लेकिन तुम तो बड़ी हो। बहु हो बहू की तरह रहो। लोगों को बातें बनाने का मौका मत दो”

उनकी बात सुनकर दीप्ति बोली,
“इसमें गलत क्या है मम्मी जी। जब मैं इस घर में बहू बनकर आई थी तो मेरी उम्र आपकी छोटी बहू से एक-दो साल कम थी। पर तब भी मैं आपके लिए छोटी तो नहीं थी। मुझ पर पूरे घर की जिम्मेदारी थी। आप ही ने ये नियम बनाए थे ना कि सबके खाने के बाद खाना है। ससुराल में साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहनना है। सबके उठने के पहले उठना है। सबके सोने के बाद ही सोना है। घर का सारा काम अपने हाथों से करना है। घर में कोई नौकर चाकर नहीं लगेगा। ये मूवी और होटल सब फालतू के चोचले है। इनमे फालतू का पैसा खर्च नहीं करना है। तो अब छोटी बहू पर ये सब नियम लागू क्यों नहीं है”

उसकी बात सुनकर जानकी जी तुनकते हुए बोली,
“अरे वक्त के साथ इंसान को बदलाव भी करना पड़ता है। जब तुम शादी होकर आई थी तो तुम इस घर की इकलौती बहू थी। तो तुम्हें हमने अपने हिसाब से रखा। तो अब नयी बहु तुम्हारे आने के दस साल बाद इस घर में आई है तो अभी भी क्या हम उसी ढर्रे पर चलेंगे। बदलाव नहीं करेंगे?”
” सही कहा मम्मी आपने। वक्त के साथ बदलाव करना चाहिए। और आप अब बहू के लिए बदल रही है ये बहुत अच्छी बात है। पर मम्मी, दीप्ति भी तो आपकी बहू है। अब दस साल बाद उसके लिए भी तो बदलाव कीजिए। उसे तो अभी भी आप दस साल पुरानी बहू की तरह देख रहे हो”

सोमेश ने बीच में ही कहा। इतने में मनीष भी बोला,
” हां मम्मी, भैया सही कह रहे हैं। आपकी दो बहुएं हैं दोनों से व्यवहार भी एक जैसा ही होना चाहिए। ऐसा ना हो कि एक को हर चीज में छूट मिले और दूसरी को सिर्फ जिम्मेदारी। कई बार ये छोटी-छोटी बातें ही घर के दो टुकड़े कर देती है”


अब तो जानकी जी बिल्कुल चुप हो गई और चुपचाप अपना नाश्ता करने लगी। जानती थी कि सोमेश गलत नहीं बोल रहा है। लेकिन अब तो मनीष भी साथ दे रहा है। अगर नयी बहू को इतनी छूट दी है तो बड़ी बहू के नियमों में भी अब ढील करनी ही पड़ेगी। अन्यथा घर में स्थिति असामान्य हो जाएगी। आखिर अपनी इज्जत अपने हाथ है। कही छोटे बेटे की बात सच ना हो जाए।

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