Small Moral Stories बेटा करे तो गलत, दामाद करे तो सही!
भावना और प्रकाश की दो बेटियां और एक बेटा था। तीनों की ही शादी हो चुकी थी। जैसा कि हर घर में होता है कि बेटियों का सुखी संसार देखकर मां खुश होती है, लेकिन यदि उनका खुद का बेटा अपनी पत्नी को सर आंखों पर रखे तो सास को अच्छा नहीं लगता। ताने यही मारे जाते हैं कि बहु ने बेटे को वश में कर लिया।
भावना और प्रकाश की बड़ी बेटी विदेश में रहती थी, जो काफी दिनों से उन्हें बुला रही थी| लेकिन भावना और प्रकाश हमेशा ही टालते रहे| इस बार दामाद जी ने उनके आने-जाने की टिकट करवाकर उन्हें भेज दी। इस बात का ढिंढोरा भावना जी ने हर जगह पीटा कि उन्हें इतना अच्छा दामाद मिला है जो अपने सास-ससुर के लिए इतनी महंगी टिकट भिजवा रहा है और उन्हें वहां बुला रहा है।
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भावना जी ने अपने और अपने पति के जाने की तैयारी अच्छे से कर ली। साथ ही साथ अपनी बहू को हजारों हिदायते भी दे दीं कि घर खर्च कैसे करना है, कहां जाना है, किस से क्या बोलना है।
भावना और प्रकाश करीब-करीब 15 दिन वहां घूमने वाले थे। यहां उनका बेटा-बहू अकेले ही थे। भावना जी का बेटा आर्यन बहुत ही समझदार था। अपने माता-पिता को खुश देखकर वो बहुत खुश था। एक बेटा तो हमेशा ही अपने माता-पिता के लिए हर काम करना चाहता है, लेकिन जब दामाद अपने सास-ससुर का इतना अच्छा ध्यान रखें तो सचमुच खुशी दोगुनी हो जाती है।
आर्यन ने सोचा क्यों ना मैं अपने सास-ससुर को यहां बुलाऊं और उन्हें घुमाने ले जाऊं। अपनी पत्नी को बिना कुछ बताए उसने अपने सास-ससुर को बुला लिया। उसकी पत्नी अपने माता-पिता को अचानक देख कर चौंक गई। सारी बात पता चलने पर वह बहुत खुश हो गई। आर्यन अपने सास-ससुर और अपनी पत्नी के साथ महाबलेश्वर घूमने चला गया। जहां उन्होंने ढेर सारी फोटो खिंचवाई और उसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया।
यह सारी तस्वीरें देख विदेश में बैठी उसकी मां बुरी तरह से गुस्सा हो गई। उसने तुरंत फोन करके आर्यन से पूछा कि “यह सब क्या हो रहा है? तूने बहू को यह इजाजत कैसे दी कि वह अपने माता-पिता को यहां बुला ले और तू क्यों अपने ससुर के साथ यहां-वहां घूम रहा है?”
तब आर्यन ने कहा “मां मुझे लगा कि जब दीदी जीजाजी ने तुम्हें बुलाया तो तुम इतनी खुश हुई थी, तो मैंने अपने सास ससुर को बुला लिया। उसमें क्या गलत किया?’
“जीजाजी तुम दोनों को प्यार से बुला कर तुम्हारी और पापा की मेहमाननवाजी कर रहे हैं। वैसे मैं भी अपने सास-ससुर का ध्यान रखूं, तो उसमें क्या परेशानी है?”
भावना के पास कोई जवाब तो नहीं था, बस फोन पटक दिया।
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तब उनके ही दामाद ने उन्हें समझाया “मम्मी जी जमाना बहुत बदल गया है। लड़की के मां-बाप हों या लड़के के मां-बाप, किसी की इज्जत किसी से कम या ज्यादा नहीं। सभी को एक परिवार की तरह रहना चाहिए। एक बहू जब बेटी बन जाती है, तो एक दामाद बेटा नहीं बन सकता है? आप परेशान ना हों, हम यहां एन्जॉय करेंगे और उनको वहां एंजॉय करने दीजिए, इसी में ही सबकी भलाई है।
मैं जानती हूं कि अभी भी लड़की और लड़के के मां-बाप में बहुत फर्क किया जाता है। यहां तक कि लड़की अपने मां-बाप को कुछ देने के पहले भी हजार बार सोचती हैं, उसे पूछना पड़ता है। लेकिन कभी ना कभी यह सोच बदलनी होगी और मुझे लगता है कि अब इसकी शुरुआत हो चुकी है।