Sweet First love : फर्स्ट लव

Sweet First love फर्स्ट लव

Sweet First love: दुनिया का कोई ऐसा बाप न होगा जिसे अपनी बेटी से प्यार न हो?वो अमीर हो न हो इससे कोई फर्क पता मगर वो मोहब्बत का एक अनमोल खजाना होता है जिसे अपनी बेटियों पर लुटाना अपना हक़ समझता है एक आदमी अज्ञानी हो सकता है मगर एक पिता अपनी बेटी के लिए ज्ञान का भंडार होता है क्योंकि बेटियां अपने हर सवाल का जवाब अपने पिता से ही मांगती हैं और पिता जी न केवल उसके प्रश्न का उत्तर देते हैं बल्कि उसे उस आंसर से छुपे तर्क को भी बताते हैं आगे बढ़ने का हौसला देते हैं अपनी बेटी के लिए एक पिता हमेशा अवेलेबल होते हैं…!!

Sweet First love

अपनी बेटियों के आंखों को नम देखना एक पिता की मजबूरी होती है वरना अपनी बेटी की एक मुस्कान के लिए एक पिता अपनी पूरी दुनिया लुटाने को हमेशा तैयार मिलते हैं शायद इस लिए हम बेटियों के फर्स्ट लव हमारे बाबा ही होते हैं क्योंकि हमारे बाबा हमें पंख दे कर हमारे सपनों में न सिर्फ उड़ान भड़ते हैं बल्कि उन सपनों को साकार करने में भी अपनी निंदे उड़ा कर हमारी मदद करते हैं ……

आइए मैं आप को एक ऐसी कहानी सुनाती हूं जो सुनने वालों को बिलकुल अपनी लगेगी 

किसी समय में एक बहुत ही प्यार करने वाले पिता और पुत्री होते हैं पिता अपनी पुत्री को खुशहाल और अपने पैरों पे खड़ा देखना चाहते हैं तो वहीं बेटी अपने सपनों में पंख लगा कर उड़ना चाहती हैं लेकिन वो कहते हैं न किसी को आसमान नहीं मिलता तो किसी को ज़मीन नहीं मिलती ठीक ऐसा ही कुछ इन बाप बेटी के बीच था गरीबी,अमीरी तो कॉमन है जो हर दूसरे क़दमों पर मिल जाती है और उससे जूझते लोग भी हम आसानी से देख रहे हैं .

पिता जहां गरीबी से लड़ कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा होता है वहीं उसकी बेटी सुहानी कुछ अलग ही सपने देखने में व्यस्त होती है .

सुहानी एक आम से शकल सूरत की लड़की होती है वो हमेशा से एक एथलीट बनना चाहती है सब से तेज़ दौड़ना उसका सपना होता है फिर पिता जी भी अपनी बेटी के सपने को अपनी आंखों में सजा लेते हैं समय का पहिया घूमता रहता है सपनों में जान आति रहती है मगर वो खूबसूरत सपना तब बेजान नज़र आने लगता है जब एक एक्सीडेंट में सुहानी अपनी एक टांग गंवा बैठती है अब दौड़ना तो दूर सुहानी चल भी नहीं सकती थी वो एकदम से अपने बिस्तर से लग जाती है उन बाप बेटी के सपने अब तो तड़प तड़प के अपनी जान गंवाते नज़र आने लगते हैं 

लेकिन वो तो एक पिता था अपनी बेटी का शहंशाह तो कैसे अपनी शाहज़ादी के सपनों को मरता देखता ?तब उसने दिन रात मेहनत करनी शुरू की वो हमेशा सोचता कुछ ऐसा हो जाए जिससे वो अपनी बेटी को रफ्तार दे सके एक पैर दे सके तभी सुहानी के पिता को पता चलता है की सुहानी का ऑपरेशन कर के उसे आर्टिफिशियल पैर दिया जा सकता है फिर क्या था एक मरता हुआ बाप जी ही तो उठा था , जब वो थक हार के घर आता तो अपनी बच्ची के पास जाता उसे जीने के लिए बहुत सारी बातें बताता , बहादुरी के किस्से सुनाता ,दुख की आंखों में आंखें डाल कर कैसे देखा जाता है उसके गुड़ वो बेटी को बताता …

फिर एक दिन पिता को ये यकीन हो जाता है की अब उसके पास इतने पैसे आ चुके हैं जिस से वो अपनी बेटी को उसकी टांग दिला सकेगा तो वो दौड़ता हुआ डॉक्टर के पास जाता है और उस से कहता है की उसे अपनी बिटिया के लिए एक टांग लेनी है डॉक्टर उस अनपढ़ पिता की मासूमियत पर मुस्कुरा उठता है और उस अनपढ़ पिता से कहता है ….

तुम्हारी बिटिया के लिए टांग तो दे दूंगा लेकिन उसे यहां लाना होगा उसका ऑपरेशन होगा तब तब उसे वो टांग लगा दी जाएगी तब वो पिता डॉक्टर से पूछता है मेरी बिटिया दौड़ने लगेगी न डॉक्टर साब?

डॉक्टर ये नहीं चाहता की उसे कोई झूठी उम्मीद दिलाए इस लिए कहता है

सुनो मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रख सकता क्योंकि तुम्हारी बिटिया ऑपरेशन के बाद भी दौड़ नहीं सकेगी सिर्फ चल सकेगी.तब वो पिता कहता है कोई बात नहीं डॉक्टर साहब मेरी बिटिया रानी अगर चल सकती है तो दौड़ भी सकती है और जीत भी सकती है उसकी बात सुन कर डॉक्टर ला जवाब हो जाता है 

ऑपरेशन के बाद सुहानी चलने लगती है और धीरे धीरे हिम्मत कर के दौड़ने भी लगती है एक दिन सुहानी के पिता की मेहनत और उम्मीद सुहानी के सपनों में पंख लगा देते हैं जो उसे कामयाबी की शिखर पर पहुंचा देती है जो रेस में कई गोल्ड मैडल जित्ती है और अपने जैसों के लिए रोलमॉडल बनती है 

सच ही कहा है किसी ने दरवाज़े पर रखी बाबा की टूटी चप्पल भी हमें सुरक्षा का एहसास दिलाती है 

तो दोस्तों गरीबी और अमीरी कोई माने नहीं रखती अगर कुछ मैटर करता है तो वो है आपका आत्मविश्वास और पिता का अपनी बेटी पर भरोसा क्यों की पिता अपनी बेटी का पहला प्यार होता है कोई भी ये नही चाहता की उसका प्यार नज़रें झुका के जीए…

फ्रेंड्स आप सब ने कॉमेंट्स में ये बताना है की आप का Sweet First Love 💕 कॉन है….?

एक रिक्वेस्ट है अगर फ्यूचर में सर उठा के जीना है कामयाब होना है तो अपने पिता का सम्मान करें उनके हर जरूरतों का ख्याल रखें जब वो कुछ बोल रहे हों तो उनकी बातें ध्यान से सुनें और समझें जब पिता गुस्से में हों तो आगे से जवाब न लगाएं ज़रूरी नहीं की आप एक बेटी हों बेटे भी इस बात का ख्याल रखें…!!

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