Moral Story: मां जी आपका बेटा बिगड़ा हुआ था।

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Moral Story मां जी आपका बेटा बिगड़ा हुआ था तो उसे सुधारती, ना कि उसकी शादी करवाती

Moral Story

” बहु रात के 11:00 बज रहे हैं। रोहन अभी तक घर पर नहीं आया और तू चैन से बैठी हुई है। कैसी पत्नी है तू? अपने पति को संभाल कर रखना भी नहीं आता। उसे फोन लगा कर पूछ तो सही कि कहाँ है। और कितनी देर लगेगी उसे आने में”
विमला जी अपनी बहू मधु को डांटते हुए बोली,
” मुझ से क्या पूछ रही है आप माँजी। आपका बेटा कोई छोटा बच्चा तो है नहीं कि यहां वहाँ गुम हो जाएगा। वो बेटे तो आपके है। आप फोन लगा कर पूछ लीजिए कि कहां रह गए?”
मधु ने बेपरवाही के साथ जवाब दिया।


” हां, मैं तो मां हूं ना। मैं तो फोन करके पूछूंगी ही कि वो कहां रह गया। लेकिन पत्नी होने के नाते तेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है या नहीं। कि तुझे यहां पूजा करने के लिए लेकर आए हैं?”
विमला जी ने पलट कर जवाब दिया।
पर इस बार मधु ने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए विमला जी भुनभुनाती हुई अपने कमरे में आ गई और मोबाइल लेकर रोहन को फोन लगाने लगी। लेकिन रोहन ने फोन नहीं उठाया।
” ये रोहन भी ना, कभी भी टाइम से घर पर नहीं आता। पता नहीं क्यों मेरी जान जलाते रहता है। सोचा था बहू आने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। पर नहीं, यहाँ तो बहू भी उसके जैसी ही आई है। पति से कोई लेना देना ही नहीं उसे। अरे पत्नियाँ तो अपने पति को बांधकर रखती है। और एक इसे देखो तो? अब तक रोहन को सुधार नहीं पाई”
बड़बड़ाती हुई विमला जी वापस बाहर आई तो देखा मधु अपने कमरे में जा चुकी थी। वो भी उसके कमरे की तरफ गई और धीरे से खोलकर देखा तो वो सो चुकी थी। विमला जी वापस बाहर हाॅल में आ गई।

” कैसी औरत है ये? पति अब तक घर नहीं आया और उसे नींद भी आ गई। बेशर्म कहीं की”
विमला जी ने फिर से रोहन को फोन ट्राई किया। लेकिन रोहन ने एक बार भी फोन रिसीव नहीं किया। आखिर वो थक हार कर वही हाॅल में सोफे पर बैठ गई।
रात को 12:30 बजे घर की बेल बजी। विमला जी ने भाग कर दरवाजा खोला तो बाहर रोहन को नशे में हालत में खड़े देखा। वो तो खुद को संभाल भी नहीं पा रहा था। आखिर विमला जी उसे सहारा देकर जैसे तैसे घर में लेकर आई और सोफे पर बिठा दिया।

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” कहते हैं बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है। इस बुढ़ापे में तुझे मुझे सहारा देना चाहिए। और यहाँ मैं तुझे सहारा दे रही हूं। अरे कुछ तो शर्म कर। कब तक मुझे यूं ही परेशान करता रहेगा”
विमला जी उसे डांटते हुए बोली। लेकिन उसे होश हो तब तो वो कोई जवाब दे।

आखिर नशे की हालत में ही जब सोफे पर वो लुड़क गया तो विमला जी उसे वहीं छोड़कर अपने कमरे में आ गई।
“जब बीवी को ही कुछ नहीं पड़ी है तो मैं भी क्या करूँ? पहले एक ही खून पीता था और अब दो दो लोग मिलकर पीते हैं। मेरी तो जिंदगी ही खराब हो चुकी है”
बड़बड़ाती हुई वो चादर तानकर सो गई।
सुबह जब नींद खुली तो देखा हाॅल में रोहन अभी भी सोया पड़ा था। जबकि मधु वहीं पास में डाइनिंग टेबल पर बैठी चाय पी रही थी। विमला जी को देखते ही मधु ने पूछा,
” माँ जी आप चाय पियेंगी?”
उसे देखकर विमला जी अपने हाथ जोड़ते हुए बोली,
” तू ही पी तेरी चाय। पति यहाँ नशे में पड़ा हुआ है। लोगों का तो खाना पीना दुश्वार हो जाता है। पर तेरे हलक से कैसे उतर रही है ये चाय?”
विमला जी की बात सुनकर मधु मुस्कुराते हुए बोली,
” क्या बात है मां जी? आज तो बहुत ज्यादा गुस्सा हो रही है आप। भला मैं क्यों अपना खाना पीना बंद करूं? आपका बेटा इतने सालों से बिगड़ा हुआ था। आपने तो खाना पीना बंद नहीं किया। तो मुझसे उम्मीद क्यों कर रही हो?”


मधु की बात सुनकर विमला जी गुस्से से उसे घूरने लगी। उन्हें अपनी तरफ देखता देख कर मधु बोली,
” माँ जी थोड़ी शांति बनाए रखिए। कहीं बीपी ना हाई हो जाए आपका। मैंने नाश्ता तैयार कर दिया है और दोपहर का खाना भी बना कर रख चुकी हूं। अभी शांति आ जाएगी साफ सफाई करने के लिए। तो आप उससे साफ सफाई करवा लेना। और मैं जा रही हूं अपने मायके अपनी मां से मिलने के लिए। शाम तक वापस आ जाऊंगी”
” शाम को भी क्यों वापस आती है? वहीं रह जाना। वैसे भी तेरा इस घर में होना नहीं होना एक ही बराबर है। जो अपने पति को संभाल नहीं सकती वो मेरा घर क्या संभालेगी”
” क्या बात कर रहे हो आप भी माँ जी। वहीं रहने के लिए थोड़ी ना आपके बेटे से शादी की थी। बहु को तो ससुराल में ही होना चाहिए। यही तो संसार का नियम है”


कहकर मधु वहाँ से रवाना हो गई। घर से कुछ दूरी पर पहुंचकर ऑटो पकड़कर अपने मायके रवाना हो गई। ऑटो में बैठे-बैठे उसे वो दिन याद हो आया जब वो इस घर में दुल्हन बनकर आई थी। कितने अरमान थे उसके। पर वो अरमान उस समय धराशाई हो गए जब रोहन शराब के नशे में धुत होकर घर आया था। शादी के ठीक दूसरे दिन उसने ये हरकत की। उसने हैरानी से विमला जी की तरफ देखा तो विमला जी ने बात संभालते हुए कहा था,
“अब बहू थोड़ी बहुत तो हर कोई पीता ही है। पर तुम आ गई हो ना अब तुम संभाल लोगी। इसीलिए तो उसकी शादी की है। सावित्री तो अपने पति की जान यमराज से वापस लेकर आ गई थी। तुम्हें तो सिर्फ उसे सुधारना है”
विमला जी की बात सुनकर मधु हैरान खड़ी रह गई। मतलब अपने बेटे को सुधारने के लिए उन्होने उसकी जिंदगी तो दांव पर लगा दी। पूरी रात मधु के दिमाग में यही बात चलती रही। दूसरे दिन मधु पग फेरे के लिए गई तो मायके वालों ने भी यही जवाब दिया,


” बेटा थोड़ी बहुत तो आजकल हर कोई पीता है। ये तुम पर निर्भर करता है कि तुम उसे कैसे संभालती हो। एक पत्नी चाहे तो क्या नहीं कर सकती। और फिर इसके अलावा कोई कमी तो नहीं है। थोड़ा बहुत एडजस्ट तो सबको करना पड़ता है”


पिता तो उसके थे नहीं। मां ने जरूर इतना कहा,
” बेटा जैसे भी हो अपना घर संभाल ले। अगर तू छोड़कर भी आई तो यहां तेरे भाई भोजाई रखेंगे, इसकी कोई गारंटी है क्या? जिन्होंने ये जानते हुए तेरी शादी एक शराबी से कर दी। वो तुझे यहां रखेंगे इसकी तू उम्मीद मत कर”
मधु को समझ ही नहीं आया कि वो करें क्या? इसलिए चुपचाप वापस ससुराल आ गई। अब जब भी रोहन शराब पीकर आता तो मधु रोती, परेशान होती। पर विमला जी तो चैन की बांसुरी बजा रही होती। आखिर बेटे को बहू के हाथों संभला कर वो बेफिक्र हो चुकी थी।


लेकिन अभी दो महीने पहले रोहन ने शराब के नशे में मधु की जमकर पिटाई कर दी। सिर्फ इस कारण की मधु ने उसे शराब पीने से रोका था। विमला जी ने उसमें भी मधु की ही कमी निकाल दी,
” हे भगवान! एक पति तक नहीं संभाल सकती, पूरा घर क्या संभालेगी? मैंने तो ये सोचकर अपने बेटे की शादी की थी कि घर में बहू आएगी। उसे सुधार देगी। लेकिन ये तो उल्टा उसे परेशान करने का काम करती है। अब तेरे सारे नाजो नखरे तो उठाता है, तेरे खर्चे उठाता है। फिर तू हर समय उसके पीछे पड़ी रहेगी तो हाथ नहीं उठाएगा तो बेचारा क्या ही करेगा? थोड़ा प्यार से संभाला कर”


जब मायके वालों से कहा तो वो लोग भी हमदर्दी जताकर चले गए। भाभी तो ये तक कह कर चली गई कि एक पति नहीं संभाल सकती तो कर ही क्या लोगी तुम। दोबारा लौटने की सोचना भी मत। हम अपना देखे या तुम्हारा देखें? तुम्हारी मां को रख रखा है वही बड़ी बात है।


सो मधु ने भी सोच लिया कि जब रहना ऐसे ही घर में है तो या तो जिंदगी भर मार खाते रहो और रोते रहो। या फिर बेशर्म हो जाओ और अपना रास्ता खुद चुनो। मधु ने दूसरा रास्ता चुना। मधु को धीरे धीरे ये बात समझ में आ गई कि रोहन उससे लड़ता झगड़ता तभी था जब वो शराब के नशे में होता था। वरना तो वो मधु से अच्छे से ही बात करता था। इसलिए वो अब रोहन से जब वो नशे में होता तो ज्यादा कुछ कहती भी नहीं थी।
उसने एक दो बार नौकरी के लिए कहा तो विमला जी ने हंगामा कर दिया। इसके बाद रोहन ने नशे की हालत में विमला जी के कहने पर उसके साथ काफी गाली गलौज किया था। इसलिए उनके सामने उसने नौकरी के लिए कहना ही छोड़ दिया।


पर उसे नौकरी तो करनी ही थी। पढ़ी-लिखी तो वो थी ही, आत्मनिर्भर तो उसे बनना ही था। पर आखिर बाहर कैसे जाए? इसलिए अक्सर मायके का नाम लेकर निकल जाती थी। अभी एक सप्ताह पहले इंटरव्यू देकर आई थी। वहां से कॉल आया था तो आज वही जा रही थी।
वहां पहुंची तो उसकी नौकरी पक्की हो गई। उसने सारे जरूरी पेपर्स डिपॉजिट कर दिए। उसे दूसरे दिन से ही ज्वाइन करने को कह दिया गया। जब वापस लौट कर आई तो रोहन भी होश में आ चुका था। विमला जी गुस्से में बैठी उसे ही घूर रही थी। जैसे ही उसने घर में कदम रखा विमला जी बोली,
” आ गई महारानी अपने मायके वालों से मिलकर। यहां सास और पति भूखे बैठे हो, उससे कोई लेना देना नहीं बेशर्म कहीं की “


विमला जी की बात सुनकर मधु बोली,
” कैसी बात कर रहे हो आप मां जी। खाना बना कर तो गई थी आपके लिए। फिर मेरा क्यों इंतजार कर रहे थे आप?”
” मधु कहां गई थी तुम? अभी तुम्हारी मम्मी का फोन आया था। तुम तो मायके पहुंची ही नहीं”
अचानक रोहन ने कहा।
रोहन की बात सुनकर मधु ने रोहन की तरफ देखा और कहा,
” मुझे नौकरी मिल गई है। कल से ज्वाइन करनी है”
” हां, ये देखो। ये होता है औरत का त्रिया चरित्र। मायके का नाम लेकर पता नहीं कहां घूमती फिर रही है। और हमारे घर की इज्जत को उछाल रही है”
विमला जी बीच में ही बोली।


” माँ मैं बात कर रहा हूं ना। आप क्यों बीच में बोल रहे हो? तुम्हें नौकरी की क्या जरूरत है मधु? तुम्हारी सारी जरूरत तो पूरी कर रहा हूं?”
रोहन ने शांतिपूर्वक मधु से पूछा तब मधु ने कहा,
” मुझे मेरे मायके का कोई संबल नहीं है। मुझे अपना संबल खुद बनना है इसलिए मैं नौकरी ज्वाइन कर रही हूं। मैं इसलिए नौकरी ज्वाइन कर रही हूं ताकि मैं अपने अंदर इतनी हिम्मत जुटा सकूं कि मैं आपके सामने खड़े होकर ये कह सकूं कि आप शराब छोड़ रहे हो या मुझे?”


उसकी बात सुनकर रोहन सकते में आ गया। जबकि विमला जी अपना माथा पीटते हुए बोली,
” हाय राम! पति को छोड़ने के बात कर रही है। बेशर्म। अपना घर अपने हाथों ही तोड़ रही है। ऐसा नहीं कि पति को सुधारने की कोशिश करें। बल्कि जो है उसे भी बिगाड़ रही है”


” बस कीजिए मां जी, बहुत बोल दिया आपने। मैं कोई नशा मुक्ति केंद्र नहीं हूं। एक इंसान हूं जिसकी अपनी जिंदगी है। और मुझे अपनी जिंदगी के बारे में सोचने का पूरा हक है। पर मैं इस रिश्ते तोड़ने से पहले इस रिश्ते को एक मौका देना चाहती हूं। बताइए रोहन जी आप नशा छोड़ेंगे या फिर पत्नी?”
रोहन काफी देर तक मौन रहा। फिर कुछ सोच समझकर बोला,
” ठीक है, जब तुम इस रिश्ते को एक मौका देना चाहती हो तो मैं ये मौका लूँगा। कब ज्वाइन करना है तुम्हारा नशा मुक्ति केंद्र?”


उसकी बात सुनकर जहाँ मधु के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, वहीं विमला जी बिल्कुल हैरान खड़ी रह गई। उनकी आंखों में से आंसू निकल आए। आखिर इतनी कोशिश जो काम विमला जी नहीं कर पाई, वो मधु ने कर दिया।
दूसरे दिन ही रोहन ने नशा मुक्ति केंद्र ज्वाइन कर लिया। और कुछ महीनो मशक्कत के बाद उसमें वाकई परिवर्तन हुआ। उसने शराब पीना छोड़ दिया। और आज विमला जी अपनी उसी बेशर्म बहू की नजर उतारती नहीं थकती।

मौलिक व स्वरचित
✍️ लक्ष्मी कुमावत
सर्वाधिकार सुरक्षित

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