Laghu Kathaye | दोस्तों दुनिया क्या सोचती है इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है।

Laghu Kathaye: यह कहानी है एक बूढ़े आदमी की। ऐसा बूढ़ा आदमी जो अपने बुढ़ापे में अपने बेटी और बेटों के द्वारा ठुकराए जाने पर अपने लिए दो वक्त की रोटी तक जुटाने में कठनाईं मेहसूस करता है। फिर भी वह हिम्मत करके होलसेल की दुकान से अपने पास पड़े चंद रुपयों की पेन खरीदता है ,और बस स्टॉप पर जाकर एक जगह बैठ कर उन्हें बेचने की कोशिश करता है।


बूढ़ा दिन भर पेन बेचते बेचते थक जाता है लेकिन उसकी ज्यादा पेन नहीं बिकती फिर वह उसी जगह सो जाता है जिस जगह वह बैठकर पेनेे बेच रहा था। बूढ़ा जहां सोया था वहीं पर अपना पेन का कटोरा भी रखा होता है। बूढ़े को ऐसी अवस्था में सोते हुए देख आते जाते लोगों को उस पर दया आती है और वह उसके कटोरे में पैसा डालना शुरू कर देते हैं!


जब बूढ़ा जागता है तो देखता है कि उसकी पेन एक भी नहीं कम हुई और उसके कटोरे में काफी सारे पैसा जमा है वह समझ जाता है कि लोगों ने उसको भीख देना शुरू कर दिया है।


अब बूढ़ा हर दिन उसी जगह पर आता है। थोड़ी देर बैठता है और वहां लेट जाता है। और इस तरह से उसे हर दिन ढेर सारे पैसे भीख के तौर पर मिलने लगते हैं। कई दिन बीतने के बाद जब बूढ़ा उसी जगह अपने उसी कटोरे में पेन रखकर बिना कुछ बोले बैठा होता है तब एक यंग बिजनेसमैन उसको देख कर उसके कटोरे में ₹50 डालता है और अपने बस में बैठ जाता है।

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कुछ सेकंड बाद उस बिजनेसमैन को क्या सूझता है पता नही कि वह बस से नीचे उतरता है। उस बूढ़े के पास आता है। उस कटोरे से कुछ पेन उठाता है और उसे कहता है कि इस पेन की कुछ कीमत है और मैं आपको कीमत देकर यह पेन ले रहा हूं, आखिर आप भी एक बिजनेसमैन है और मैं भी। इतना कहकर वह फिर से अपने बस में बैठ जाता है और बस वहां से चली जाती है।


उस यंग बिजनेसमैन की बातें जैसे बूढ़े के दिल में उतर जाती है। उसकी बातें दिन-रात अब उस बूढ़े की दिमाग में घूमती रहती है।
2 साल बीत जाते हैं। एक दिन वह यंग बिजनेसमैन एक जगह पर उस बूढ़े को दिखता है। बूढ़ा आदमी उसके पास जाता है और उसे कहता है आपने मुझे पहचाना? शायद आप भूल गए होंगे लेकिन मुझे आप अच्छे से याद हो!


बिजनेसमैन कहता है आपके याद दिलाने पर मुझे थोड़ा-थोड़ा याद आ रहा है शायद आप वही बूढ़े आदमी हैं जो कभी उस बस स्टॉप पर बैठकर भीख मांगा करते थे। लेकिन आज तो आपका अंदाज ही कुछ बदला हुआ है! आप सूट-बूट में टाइ पहनकर यहां क्या कर रहे हैं?
बूढ़ा आदमी उस यंग बिजनेसमैन को धन्यवाद देते हुए कहता है कि आप नहीं जानते आपने उस एक मुलाकात में मुझ पर कितना उपकार किया है!

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यंग बिजनेसमैन को कुछ समझ में नहीं आता क्योंकि उसके हिसाब से उसने ऐसा कोई भी काम नहीं किया था जिसके लिए उसे धन्यवाद दिया जाए।


बूढ़ा आगे बताते हुए कहता है मैं आपको पूरी बात बताता हूं… उस दिन जब आपने मुझ पर दया ना दिखाते हुए अपने पैसों के बदले मेरे कटोरे से पेन उठाई और जो शब्द आपने मुझसे कहे की पेन की भी कीमत है और आपकी तरह मैं भी एक व्यापारी इन शब्दों ने मेरे दिल दिमाग पर आंदोलन कर दिया। उस दिन से मैं सोचने लगा कि मैं यह क्या कर रहा हूं? मैंने जिंदगी भर कड़ी मेहनत करके अपना और अपने परिवार का पेट पाला था तो फिर मैं इस उम्र में कैसे हार मान सकता हूं? मैं उस दिन तुरंत उठा मैंने घूम घूम कर सारी पैन बेचदी और अगले दिन से मैंने पेन के साथ कॉपी और बुक्स भी बेचना शुरू कर दी।


मैंने शुरू के 6 महीने काफी मेहनत की और अपने बेचने की चीजें बढ़ाता गया और सिर्फ 6 महीने में मैंने स्टेशनरी की दुकान डाल दी! मेरे अंदर जो मेहनत करने की लगन आपने पैदा की थी उसकी बज से मैं इतने पर ही नही रुका। मैं स्टेशनरी में भी काफी मेहनत करता था और मैंने कई सारी स्टेशनरिया खोल ली और आज मैं शहर का सबसे बड़ा स्टेशनरी का थोक व्यापारी हूं।
उस यंग बिजनेसमैन को उस बूढ़े आदमी की सफलता देखकर बहुत खुशी हुई। उसने बूढ़े आदमी को गले से लगा लिया और उसे बधाई दी।


दोस्तों दुनिया क्या सोचती है इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है। फर्क पड़ता है आप अपने बारे में क्या सोचते हो। अगर आप अपने आप को कमजोर मानते हो, आप सोचते हो कि आप कमजोर हो तो आप कमजोर हो जाते हो! अगर आप अपने आप को ताकतवर और सक्षम मानते हो तो आपको सक्षम होने से, सफल होने से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक पाती है।

कहानी केसी लगी बताइयेगा जरूर ऐसी हि कहानी को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो कर लीजिए 🙏

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