Laghu Katha in Hindi 2 | Inspirational Stories

एक छोटी कहानी (laghu katha in hindi 2): मगर सीख बहुत बड़ी (Inspirational Stories)

Laghu Katha in Hindi 2 पटाखा

“ वाह ! क्या लगती हो ! इस उम्र में भी बिलकुल पटाखा हो पटाखा !” गली में तेज-तेज कदमों से अपने घर की ओर जाती हुई प्रीति को देख कर पीछे से आते एक बाइक सवार ने फब्ती कसी।

प्रीति चालीस साल की एक गृहिणी थी।वह जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती थी।बाहर बारिश हो रही थी अत: मुख्य सड़क पर पानी भरा होने के कारण वह गली वाले रास्ते से अपने घर जा रही थी।

“ मैडम ,बात तो सुनिए।”

प्रीति उस बदतमीज लड़के को अनसुना कर चुपचाप चल रही थी पर उस 18-19 साल के लड़के की उद्दंडता बढ़ती ही जा रही थी।उसने मौका देख प्रीति की पीठ पर ज़ोर से एक हाथ मारा।

अब प्रीति चुप न रह सकी – ” शर्म नहीं आती तुम्हें?मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ ? ”

“ मैडम, हम तो आपको एक नवयौवना की तरह देख रहे हैं।आपको तो खुश होना चाहिए कि इस उम्र में भी कोई आपको इन नज़रों से देख रहा है।” लड़के ने बेशर्मी और बदतमीजी से सना एक जुमला फेंका।

प्रीति ने अपनी चाल और तेज कर दी। गली में आगे अंधेरा था।एक जगह गड्ढे में पानी भरा था।लड़के को गड्ढें में पानी भरा होने के कारण गड्ढ़ा नहीं दिखा अत: बैलेंस बिगड़ने से वह बाइक समेत गड्ढे में जा गिरा।

प्रीति ने मुड़ कर देखा।उसके मन में एक क्षण को आया कि बहुत ही अच्छा हुआ।इसके जैसे छिछोरे के साथ यही होना चाहिए था पर पता नहीं क्यों ,वह कुछ आगे बढ़ कर रुक गयी।दूसरे ही क्षण वह पीछे लौट कर लड़के के पास पहुंच चुकी थी।

“लो हाथ पकड़ो।” प्रीति ने लड़के को आवाज लगायी।

प्रीति ने हाथ पकड़ कर लड़के को गड्ढे से बाहर खींचा।लड़के के सिर व बाहों पर गहरी चोट लगी थी।

“चलो डॉक्टर के पास।”

लड़का बड़ी ही हैरानी और कुछ-कुछ शर्मिंदगी से प्रीति को देख रहा था।

“ मैं आपको छेड़ रहा था।आपसे बदतमीजी कर रहा था फिर भी आप मेरी मदद कर रही हैं ? मुझे डॉक्टर के पास ले जाने को कह रही हैं ?”कुछ देर पहले की बदतमीजी अब शर्म बन कर लड़के की आंखों से छलकी।शब्दों में भी शर्मिंदगी अपनी जगह बना चुकी थी।

“ तुम्हारी नज़रों में मैं बस एक हाड़-माँस की औरत हूं इसलिए तुमने मेरा केवल शरीर ही देखा,दिल नहीं देख सके पर मेरी नज़रों में तुम मेरे बेटे जैसे हो।एक माँ बेटे की चोट को देख कैसे मुँह फेर सकती है ?”

लड़का शर्म से पानी-पानी हो चुका था।उसके अंदर का गन्दा पुरुष विलुप्त होकर अब बेटा बन माँ के साथ चल पड़ा था।

कहानी अच्छी लगी हो तो आपका आशीर्वाद चाहूंगा।🙏

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