Haryanvi Kavita | हरियाणवी कविता

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Haryanvi kavita याद सै(हरियाणवी)

Haryanvi kavita
बिना बात कै बाबू तै पीटणा याद सै,
माँ के आँचल म्है जाकै छिपणा याद सै।

तीरछी माँग पाड़ नया सैट पेहर कै,
नहा धो कै रेत म्है लिटणा याद सै।

वा पेपूँ-पेपूँ की आवाज गाल म्है सुणकै,
कुल्फी खातर खाली बोतलां का बिकणा याद सै।

लुक-मिचाई खेलदी हाण कूण म्है धरे
भाज कै उस तांसले तलै छिपणा याद सै।

चीनी रला कै स्याही की डिबिया म्है,
अ अनार अर पहाड़ै तख्ती पै लिखणा याद सै।

टोली बणाकै जोहड़ म्है नहान्दी हाण उछाली
उस ईंट म्है बहु का दिखणा याद सै।

सोजो,ना तो बाऊआ आ जैगा, सुणकै न्यू,
जागदे जागदे भी आँख्यां नै मिचणा याद सै।

टका लाग कै फूट जाया करदी खेलदी हाण उस,
एक कंचा-गोली खातर कई घंटे रोणा चीखणा याद सै।

याद सै एक रपिया की वें संतरा की 16 टोफी,
शक्तिमान के स्टीकर का बां पै चीपणा याद सै।

गाल आली नाली म्है चालती कागज की कस्ती,
अर मिंयो-मियों कह कै बूंदा म्है भीजणा याद सै।

ओ 52 गज का दामण, ओ लाकड़ी का संदूक,
अर दादी का ओ 9 डांडी का बीजणा याद सै।

पाणी के बहाने टोकणी ठाकै उसका कुआ पै आणा,
अर बाट म्है आँख्यां का उस रा पै टिकणा याद सै।

स्कूल म्है जो लागया करदे उन टीकयां का डर,
अर मास्टर का कान पकड़ कै उपर खींचणा याद सै।

होली, दीवाली,तीज-त्यौहार के दिन माँ का,
घर-आंगण, चूल्हे-चौंके नै गोबर तै लीपणा याद सै।

याद सै " *राहुल* " कोये गैर नी,सारे के सारे आपणे थे,
खुले आंगण मेहमान खातर खाट का बिछणा याद सै।

 *राहुल लोहट*
गाँव खरड़वाल तहसील नरवाना जिला जीन्द

थोड़ी सी बेवफाई

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