Desi khani: भाभी तुम भी तो एक बेटी की मां हो। नैना के पैर बाहर ही दरवाजे पर ही रुक गए। नैना की आंखों में आंसू आ गए। ऐसा लगा जैसे किसी ने लोहे की जंजीरों में उन पैरों को बांध दिया हो। उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि गरिमा भाभी यह सब कह देगी। कितनी उम्मीद के साथ वो तो अपना घर समझ कर आई थी। वो घर जहां उसने अपना पूरा बचपन बिताया था। जहां से विदा होकर वो ससुराल गई थी। आज वही घर उसके लिए बेगाना हो गया।
ऐसा मंजर तो उसने कभी नहीं सोचा था। मां आंसू बहाए जा रही थी। पर भाभी थी कि अपने मुंह से आग उगलने के अलावा कुछ कर ही नहीं रही थी।
मेरे कारण मेरी मां को रोना पड़ रहा है ये देखकर नैना उल्टे पैर वापस वही से निकल गई। लेकिन जाने से पहले भाभी से जरूर कहा, ” भाभी आप भी एक बेटी की मां हो। भगवान ना करे आपको भी ये दिन देखना पड़े”
पर उसकी बात सुनकर भाभी ज्वालामुखी की तरह फट पड़ी, ” मेरी बेटी को बद्दुआ देने की जरूरत नहीं है। वो तुम्हारी तरह घर तोड़ू नहीं बनेगी” ” भाभी मैं तो मेरी मजबूरी में घर छोड़ कर आई थी। पर तुमने मुझे सहारा नहीं दिया। कोई बात नहीं। मैं अपनी भतीजी को बद्दुआ नहीं दे रही। पर वक्त का कोई भरोसा भी नहीं”
कह कर नैना चली गई।
मां काफी देर तक रोती रही पर भाभी का दिल नहीं पसीजा। भैया मुक दर्शक बनकर खड़े रहे। लेकिन अपनी पत्नी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पाए। कितनी अजीब विडंबना है। अपनी बहन के लिए दुनिया से लड़ जाने वाला भाई कभी-कभी अपनी पत्नी के सामने मौन हो जाता है। यह जानते हुए भी कि बहन गलत नहीं है।
ललिता जी के दो बच्चे थे गगन और नैना। गगन बड़ा था और नैना छोटी। गगन और नैना में पूरे आठ साल का फर्क था। गगन की पत्नी गरिमा थोड़ी तेज स्वभाव की थी। उसकी एक बेटी भी थी मनु।
अपने आगे तो गरिमा किसी को कुछ समझती ही नहीं थी। नैना का ग्रेजुएशन पूरा होते ही गरिमा ने उसकी शादी की रट लगा दी।
“अरे और कितना पढ़ाओगे। इसने पढ़ तो लिया। अब क्या जवान बहन को घर पर बिठा कर रखोगे। शादी करो और ससुराल भेजो ” “पर बहू इसे थोड़ा और पढ़ लेने दे। पढ़ लिखकर पैरों पर खड़ी हो जाएगी तो अपनी जिंदगी खुद संवार लेगी”
ललिता जी ने विनती करते हुए कहा। ” बस आप जैसी मांएं होती है जो अपनी बेटी का घर नहीं बसने देती। लड़कियां ज्यादा पढ़ लिख जाती है ना तो भी सिर चढ़कर नाचती है। ग्रेजुएशन ही काफी है। हम तो ना पड़े इतना। हमारे माता-पिता ने तो 12वीं के बाद ही हमारी शादी करवा दी थी “
” तेरे माता-पिता ने जो किया वो किया होगा। वो उनकी सोच थी। हमने तो तुझे पढ़ने के लिए कहा था। पर तू आगे पढ़ी नहीं। अब मेरी बेटी को तो पढ़ लेने दे”
” देखो मां जी, मेरा पति घर की पूरी जिम्मेदारी उठाता है। उसके अलावा कोई कमाने वाला नहीं है। अब जितना पढ़ना था हमने पढ़ा लिया। अब तो उसकी शादी ही होगी। आखिर हमें भी हमारा भविष्य देखना है “
गरिमा ने एक तरीके से अपना फैसला सुनाते हुए कहा। उसके आगे गगन भी कुछ नहीं कह पाया और ना ही ललिता जी। आखिर लड़केवाले बिना दान दहेज के शादी कर रहे थे इसलिए बिना किसी छानबीन के उन्होंने नैना की शादी अमर के साथ पक्की कर दी।
अभी तीन महीने पहले ही नैना की शादी अमर के साथ हुई थी। अमर एक नंबर का शराबी था। शराब पीकर आना और फिर नैना से गाली गलौच करना उसके लिए बहुत साधारण से बात थी। शादी की रात ही उसने शराब पीकर नैना के साथ बंद कमरे बहुत बदतमीजी की थी। लेकिन शर्म के मारे नैना किसी कुछ कह नहीं पाई।
लेकिन अब तो ये आए दिन होने लगा। अमर शराब के नशे में अपने कमरे में सारी हदें पार कर देता था। उसके लिए नैना सिर्फ हवस बुझाने का जरिया भर थी। जिसके साथ वो पूरे हक के साथ जोर जबरदस्ती करता था। उसके छूने में किसी भी तरह से प्रेम नहीं था। शादी के दस दिन बाद ही उसने अपनी सास से सब कुछ कह दिया तो सास ने बड़ी बेफिक्री से जवाब दिया था,
” अरे यह तो पति का हक होता है। भला यह बातें किसी से कहने की होती है क्या? बहु कम से कम सोच समझ कर तो बोल। मैं तेरी सास हूं “
उसके आगे नैना कुछ कह ही नहीं पाई। दो महीने पहले उसने अपनी ननद से भी कहा। लेकिन ननद ने भी झिड़क दिया,
” अपने कमरे की प्रेम लीला हमें मत बताया करो”
आखिर कहे तो कहे किस से। एक दो बार भाभी को कहने की सोची पर भाभी की तरफ से तो बला टली थी। जब पिछले महीने वो यहां अपने मायके दो दिन के लिए रहने आई थी। तब उसने अपनी मां ललिता जी से भी कहा था। और अपने शरीर पर बने चोट के निशान तक दिखाए थे। देख कर ललिता जी का जी भी हलक में आ गया था। उनकी बेटी के साथ कोई इस तरह से हैवानियत कर रहा था जिसे पति के प्रेम का दर्जा दिया गया था।
भला बेटे से तो ललिता जी क्या ही कहती। उन्होंने दबी जबान में अपनी बहू गरिमा को ये बात बताई। पर गरिमा ने समझने की जगह उल्टा ललिता जी को ही चुप कर दिया। कहने लगी,
” अब उसकी शादी हो चुकी है। भूल कर भी मत सोच लेना कि उसे मैं वापस लेकर आऊंगी। और ये बात जाकर आप दामाद को कैसे समझाएंगी। शर्म नहीं आएगी इस तरह की बातें करते हुए। उससे कहो अपने पति को खुश करना सीखें, ना कि हमें आकर ये बातें बताएं”
उसके आगे ललिता जी कुछ कह ही नहीं पाई।
लेकिन कल रात तो अमर ने सारी हदें ही पार कर दी। कल रात वो दो बजे शराब के नशे में टुन्न होकर घर आया। उसके बाद बिना वजह ही नैना को उसने इतनी बुरी तरह मारा कि उसके शरीर से जगह-जगह से खून बहने लगा। उसकी इतनी चीख पुकार के बावजूद भी अपने कमरे से कोई भी निकल कर उसके पास उसे छुड़ाने नहीं आया। ये तो पति-पत्नी के बीच की बात है मानकर सब लोग उसकी चीख सुनते रहे, पर अपने कमरे में ही रहे।
पता नहीं कैसे नैना में कल इतनी हिम्मत आ गई कि जिस लाठी के सहारे दादा ससुर जी चलकर घूमने जाते थे वो लाठी उसके हाथ आ गई। सबसे पहले तो उस लाठी से जमकर नैना ने अपने पति पर एक ही वार किया और फिर जैसे तैसे दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ भाग निकली।
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अमर की चीख सुनकर घर के सारे कमरों के दरवाजे खुल गए और उसे बचाने के लिए सब लोग बाहर आए। लेकिन तब तक नैना बाहर निकल चुकी थी। उसके बाद वो पुलिस स्टेशन गई और वहां सबसे पहले अमर के खिलाफ एफआईआर करवाई। पुलिस अमर को पकड़ कर ले गई। वहीं पर गगन को भी फोन करके पुलिस स्टेशन बुलाया गया था।
लेकिन अब ससुराल वाले तो कहां नैना को रखेंगे इसलिए गगन उसे अपने साथ घर ले आया। पर घर में तो उसने अपने कदम रखे भी नहीं थे कि भाभी ने चिल्लाना शुरु कर दिया,
“क्या लेने आई है अब यहां पर? सारे समाज में हमारी थू थू करवा दी। इससे अच्छा तो मर जाती तो ज्यादा अच्छा था। एक पति ना संभाल पाई तू। खबरदार इस घर में कदम रखा तो “
खैर नैना तो यहां से चली गई लेकिन किसी ने उसके बाद उसके बारे में कुछ पता नहीं किया। इस सदमे को ललिता जी बर्दाश्त नहीं कर पाई। और कुछ दिनों बाद इस दुनिया से कुच कर गई।
बस कहीं से उड़ती उड़ती खबर आई थी कि नैना का अमर से तलाक हो चुका था और अब वो कहां है किसी को नहीं पता था।
समय का पहिया यूं ही चल रहा था। आज इतने सालों बाद गरिमा अपनी बेटी मनु के लिए परेशान है। दहेज के लालच में ससुराल वाले उसे लेकर नहीं जा रहे थे। और गगन की इतनी स्थिति नहीं थी कि वो उनके मुंह मांगी कीमत उनको दे सके। मनु को भी मारपीट कर वो लोग घर पर छोड़ गए थे। ये कहकर कि जब पैसों का बंदोबस्त हो जाए तो ससुराल छोड़ जाना।
अब मनु ससुराल नहीं जाना चाहती थी इसलिए अपने पति के खिलाफ नोटिस भिजवाने के लिए गरीमा और गगन के साथ वकील के पास आई थी। और वकील का ऑफिस के बाहर बैठकर अपने बारी का इंतजार कर रहे थे। अपना नंबर आते ही वो लोग अंदर गए तो वकील ने उनकी सारी बातें ध्यान से सुनी।
अभी वकील साहब केस सुन ही रहे थे कि उनकी पत्नी अंदर आई। उसे देखकर गगन और गरिमा हैरान रह गए।
ये तो नैना थी। वही नैना जिसके लिए घर के दरवाजे गरीमा ने हमेशा हमेशा के लिए बंद किए थे। नैना भी उन्हें देखकर पहचान चुकी थी इसलिए वहीं की वहीं खड़ी रह गई।
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” अरे मैडम वहां कैसे खड़ी रह गई। अंदर तो आओ “
अचानक वकील साहब ने कहा।
” ये मेरी पत्नी है। नैना “
नैना जब उनके पास आई तो वकील साहब ने उन्हें मनु की सारी स्टोरी सुनाई। ये सुनकर नैना ने गरिमा की तरफ देखा। लेकिन गरिमा रोते हुए उसके पैरों में पड़ गई,
” मुझे वाकई में मां जी और तुम्हारी हाय लग गई। मुझे माफ कर दे नैना, मुझे माफ कर दे “
वकील साहब ने हैरानी से नैना की तरफ देखा। तो नैना ने सबकुछ बता दिया।
” भाभी मैंने मनु को कभी बद्दुआ नहीं दी। लेकिन आपको तो मेरी मां की बद्दुआ लगी होगी जो मेरे दुख में कुछ दिनों बाद ही चल बसी। मेरी तो किस्मत अच्छी थी कि मुझे वकील साहब का साथ मिल गया जो उस समय मेरा केस लड़ रहे थे। पर भाभी वक्त का पहिया सचमुच बहुत बलवान है”
हालांकि मनु का केस वकील साहब ने ही हैंडल किया। जल्दी ही उसका तलाक भी करवा दिया। पर नैना ने फिर भी अपने मायके कदम नहीं रखा। मनु के लिए उसके दिल में कोई मैल नहीं था। पर जिस मायके में उसे तिरस्कृत करके निकाला गया था और उसके कारण सदमे में उसकी मां की जान चली गई थी। वहां कदम रखकर करना क्या था।
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