An Emotional Heart Touching Story जरूर पढ़ें दिल छू जायेगा…!!
An Emotional Heart Touching Story: 31 अगस्त 2011 को शाम के समय मेरी पत्नी सुनीता को लड़की हुई, नॉर्मल डिलीवरी हुआ , पहला बच्चा था
घर में सभी बहुत खुश थे, मैरी माँ बहू के आराम के लिए पास वाले कमरे में बिस्तर लगा रही थी,
बेटी शाम को हुई ,बच्ची को देखने और सुनीता की खबर पूछने रिश्तेदार व पड़ोसी आने लगे, माँ घर का सारा काम भी करती, सुनीता व बच्चे का ध्यान रखती और आनेवालों का स्वागत भी करती।
कहते हैं सभी एक जैसे नहीं होते, सभी अपनी अपनी सलाह मैरी माँ को देकर जाते, सुनीता को सब अंदर सुनाई देता था,
उसी समय एक पड़ोसी की पत्नी आई और कहने लगी,
देखो वैसे तो हम डिलीवरी में पूरा मेवा “गोंद, घी,काजु,बदाम,पिस्ता सब डालकर लड्डू बनाते हैं
पर अपनी लड़कियों के लिए, अब बहु है और लड़की पैदा हुई है तो थोड़ा कम भी चल जाएगा, बादाम बहुत महँगे है इसलिए 500ग्राम के बदले 150ग्राम ले लेना और वैसे ही सभी मेवा थोड़ा थोड़ा कम कर देना और लड्डू कम न बने इसके लिए गेहूं का आटा ज्यादा ले लेना,
मैरी माँ सब सुनती रही अंदर सुनीता भी सब सुन रही थी, पड़ोसन चली गई, मैंने अपनी माँ से बोला ” देखो मैं बाजार जा रहा हूँ तुम मुझे लिखवा दो क्या लाना है?
कोई चीज बाकी ना रहे ।
माँ ने सामान लिखवाया, हर चीज लड़की के डिलीवरी के समय ज्यादा ही थी, हमने माँ ने पूछा इस बार सभी सामान ज्यादा है तो माँ ने कहा जब घर मे तुम और तुम्हारे भाई को जन्म हुआ तब हमारी परिस्थिति अच्छी नहीं थी
…..और इनकम भी कम थी तब पिता जी अकेले कमाते थे अब बेटा भी कमाता है इसलिए मैं चाहती हूँ की बहू के समय , मैं वो सब चीजें बनाऊँ जो अपने समय नहीं कर पाई,
क्या बहू हमारी बेटी नहीं है।
….और सबसे बड़ी बात यह की बच्चा होते समय तकलीफ तो दोनों को एक सी ही होती है..
इसलिए मैंने बादाम ज्यादा लिखे हैं।
लड्डू में तो डालूंगी ही पर बाद में भी हलवा बनाकर खिलाउंगी, जिससे बहू को कमजोरी नहीं आये और बहू -पोती, हमेंशा स्वस्थ रहें !
सुनीता अंदर सब कुछ सुन रही थी।और सोच रही थी….
में कितनी खुशकिस्मत हूँ।
और थोड़ी देर बाद जब माँ रूम में आई तो सुनीता बोली “क्या मैं आपको मम्मीजी की जगह मम्मी कहूँ ?
बस फिर क्या?
दोनों की आँखों में आँसू थे।
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