शीतल, “ननद जी, अब उठ भी जाओ। 9 बज चुका है। आज तुम्हारी शादी है ना।”
पायल, “शादी है तो मैं क्या करूँ? वो तो शाम को है ना।”
शीतल, “लेकिन अभी तो हल्दी की रस्म होनी है। हल्दी के बिना शादी कैसे होगी?”
पायल, “मैं नहीं उठ सकती, बहुत नींद आ रही है। यहाँ हल्दी लाओ और ऐसे ही मुझे हल्दी लगा दो।”
यह बात सुनकर शीतल को हँसी आ गई।
शीतल, “ये मजाक मत करो, ननद जी। उठ भी जाओ अब। बिस्तर पर हल्दी होती है क्या? इतना भी आलस अच्छा नहीं है।”
पायल हद से ज्यादा आलसी थी। पूरे इलाके में अपने आलस की वजह से वो फेमस हो चुकी थी।
बिस्तर से वो उठती नहीं थी और कभी बिस्तर से थोड़ी देर के लिए भी उठना पड़ जाए, तो उसे मौत आ जाती थी।
जो अपनी शादी के दिन बिस्तर से ना उठना चाहे, वो कितनी आलसी हो सकती है, ये तो आप समझ ही सकते हैं।
खैर, कुछ महीने पहले की बात है। जब शीतल ने इस घर में बहू बनकर पहली बार कदम रखा।
तब उसकी सास विमला ने उसकी आरती उतारी और कहा, “बहू, एक बार अपनी ननद के कमरे में जाओ, उससे मिल लो।”
शीतल, “हाँ माँ जी, जाती हूँ। लेकिन ननद जी बाहर क्यों नहीं आईं?”
विमला, “वो बाहर नहीं आती, तुम ही उसके कमरे में जाओ।”
शीतल पायल के कमरे में गई। पायल सो रही थी।
पायल, “आओ आओ भाभी, कैसी हो?”
शीतल, “मैं तो ठीक हूँ, लेकिन तुम्हें क्या हुआ, ननद जी? अभी सोई हुई हो? तबियत खराब है क्या?”
तभी विमला ने कहा, “मेरा नसीब खराब है।”
शीतल, “मतलब?”
विमला, “मतलब इतनी आलसी बेटी जो पैदा किया है मैंने। ये आलस के चक्कर में कुछ भी छोड़ सकती है।”
पायल, “माँ, अभी ये सब शुरू मत करो। सुबह के 10 बजे हैं, मुझे नींद आ रही है। मुझे और तीन-चार घंटा सोने दो।”
विमला, “हाँ हाँ, सो जा। पता नहीं तेरी शादी कैसे होगी? कौन शादी करेगा तुझ जैसी आलसी लड़की से।”
इसी बात से विमला हमेशा परेशान रहती थी। खैर, उसके बाद शीतल को भी पता चल गया कि उसकी ननद कितनी आलसी है?
शीतल ने देखा कि पायल सिर्फ बाथरूम जाने के लिए और नहाने के लिए बिस्तर से उठती है और पूरा दिन बिस्तर पर ही पड़ी रहती है। खाना भी उसे बिस्तर पर ही चाहिए होता है।
शीतल, “ननद जी, खाना लग गया है। बाहर आओ।”
पायल, “बाहर..? नहीं भाभी, बाहर जाते-जाते मेरा पैर दुख जाता है। मुझे यहीं पर खाना दे दो।”
शीतल, “अरे! चावल है, अंडा है। ये सब कोई बिस्तर पर खाता है क्या?”
पायल, “मैं खाती हूँ, आपको क्या? आपको जैसा बता रही हूँ, वैसा ही कीजिएगा। मैं अपने बिस्तर पर ही खाना खाती हूँ और उसी बर्तन में हाथ भी धोती हूँ। मुझे यहीं पर खाना दे दीजिए।”
विमला, “बहू, उससे बहस मत करो। अभी चिल्ला-चिल्ला कर पूरे घर की शांति तहस-नहस कर देगी। वो जो बोल रही है, वैसा ही करो।”
इसी तरह दिन बीतता गया और कुछ महीनों बाद विमला ने पायल के लिए लड़का देखना शुरू किया।
विमला, “अब तो सुधर जा, बेटी। अब तेरे लिए लड़का ढूंढ रही हूँ। थोड़ा घर का कामकाज भी सीख ले।”
पायल, “क्या होगा कामकाज सीख के? मैं चलते-चलते थक जाती हूँ। काम कैसे करूँगी?”
विमला, “तो क्या करेगी ससुराल में पूरा दिन?”
पायल, “बस आराम करूँगी और क्या?”
विमला, “और ससुराल वाले क्या कहेंगे? कहेंगे कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया। तेरी भाभी को देख, हर काम में माहिर है वो।
सब लोग कितनी तारीफ करते हैं तेरी भाभी की? अपनी भाभी से तो कुछ सीख ले।”
पायल, “नहीं माँ। जो मुझसे शादी करेगा, उसे मुझसे ऐसी शादी करनी होगी। मेरे बारे में सब कुछ जान कर।”
बहस में पायल हमेशा जीत जाती थी। जो हाथ-पैर चलाने में थक जाती है, उसे जबान चलाना बहुत अच्छी तरह से आता है। विमला लड़का ढूंढने लगी।
एक लड़का पायल को देखने के लिए आया। साथ में उसकी माँ भी आई।
लड़के की मां, “अरे विमला जी! अपनी बेटी को तो बाहर बुलाइये।”
विमला, “हाँ हाँ।”
विमला, “बहू, पायल को ले आओ।”
शीतल कमरे में गई और देखा कि पायल बिस्तर पर ही सोई हुई थी।
शीतल, “ये क्या पायल? मैंने 2 घंटे पहले तुमको तैयार होने के लिए कहा था, साड़ी भी रख कर गई थी।
तुम अभी तक तैयार नहीं हुई। बाहर लड़के वाले बैठे हैं तुम्हें देखने के लिए।”
पायल, “मैं अभी तैयार नहीं हो सकती। अगर लड़के वालों को देखना ही है तो कमरे में आकर देखने के लिए बोलो।”
शीतल बाहर गई और लड़के वालों से कहा, “सॉरी, पायल कमरे से निकलने के लिए तैयार नहीं है। आप लोग कमरे में आइए।”
लड़के की मां, “ये कैसी लड़की है? हम उसे देखने आए हैं और वो कमरे से निकल ही नहीं सकती।
हम इससे हमारे बेटे की शादी नहीं कराएँगे। बेटा, ऐसी लड़की से शादी करने से तो पूरी जिंदगी कुंवारा बिताना अच्छा है।”
ऐसे दो-तीन लड़के भाग गए। सच में, ऐसी लड़की से कौन शादी करना चाहेगा? विमला मुश्किल में पड़ गई।
विमला, “बहू, अब मैं क्या करूँ? घर में कुंवारी जवान लड़की का होना एक माँ के लिए बोझ है।
अब सब कुछ तुम्हारे ऊपर ही है। तुम किसी भी तरह से इसकी शादी करवा दो बस।”
शीतल, “ठीक है, माँ जी। आप चिंता मत कीजिए। अब मैं ननद जी की शादी तो करवाऊंगी, साथ-साथ उनका आलस भी गायब कर दूंगी।”
शीतल के दिमाग में एक प्लान था। उसका एक दूर का भाई था, जिसका नाम रोहन था। लेकिन रोहन के साथ शीतल का रिश्ता बहुत गहरा था।
शीतल हर साल रोहन को राखी पहनाती थी और भाई दूज में अपने घर बुलाती थी। शीतल ने रोहन से बात की।
रोहन, “ठीक है दीदी, मैं शादी करूँगा आपकी ननद से। और उसके बाद तुम्हे क्या करना है, वो समझ गए हो ना?”
शीतल, “हाँ हाँ, बहुत अच्छी तरह से।”
रोहन के साथ पायल की शादी फिक्स हो गई। विमला तो बड़ी खुश हुई और ऐसे ही शादी का दिन भी आ गया, लेकिन पायल बिस्तर से उठने को राजी नहीं थी।
शीतल ने उसे कुछ नहीं कहा। बिस्तर पर ही पायल की हल्दी की रस्म पूरी हो गई। शाम हो गई और किसी भी तरह बिस्तर से उठकर पायल ने शादी का लहंगा पहना।
पायल, “भाभी, लहंगा पहनते-पहनते तो मैं थक गई। मुझे अभी सोना है।”
विमला, “बदतमीज़ लड़की, अभी सोना है मतलब? तेरी भाभी ने इतनी मेहनत करके तेरे लिए लड़का ढूंढा है, वो लड़का भी बारात लेकर यहाँ आ जाएगा और तुझे अभी सोना है?”
शीतल, “कोई बात नहीं, माँ जी। इसे सोने दीजिए। आज इस घर में इसका आखिरी दिन है।”
बारात आ गई लेकिन पायल बिस्तर से नहीं उठी। इसीलिए रोहन कमरे के अंदर ही शादी करने चला आया।
रोहन, “अरे! तुम सो ही रहो पायल। तुम्हें उठने की कोई जरूरत नहीं है, शादी तो ऐसे ही होगी।”
पायल, “थैंक यू सो मच रोहन, तुमने मुझे समझा।”
रोहन, “तुम्हारा पति जो बनने वाला हूँ, समझना तो पड़ेगा ही।”
पंडित जी को भी कमरे में ही बुलाया गया और वहीं पर शादी हो गई। पायल बिस्तर पर ही पड़ी रही और पंडित जी मंत्र पढ़ते गए। अगले दिन सुबह विदाई से पहले विमला ने अपनी बेटी से कहा।
विमला, “बेटी, तू बहुत लकी है जो तुझे ऐसा पति मिला। कभी इसे नाराज मत करना।”
पायल ससुराल चली गई। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि इसके बाद उसकी जिंदगी में क्या क्या होने वाला है।
ससुराल में पहले दो दिन तक तो पायल की सास, ननद और नौकरों ने उसे बहुत अच्छे से खिलाया-पिलाया।
लेकिन फिर तीसरे दिन रोहन ने कहा, “मुझे एक नई नौकरी मिली है, उसके लिए मुझे बाहर जाना होगा। पायल, तुम भी मेरे साथ चलो, नहीं तो मैं अकेला बोर हो जाऊंगा।”
रोहन पायल को लेकर बाहर चला गया और दोनों एक फ्लैट में शिफ्ट हो गए। अगले दिन सुबह-सुबह रोहन घर से चला गया।
अब पायल घर में अकेली थी। पायल को अकेले रहने की आदत नहीं थी। वह हमेशा से ही घर की लाडली बेटी थी और उसे सब बहुत प्यार करते थे।
इसीलिए वह जो भी बोलती थी, सब लोग वही करते थे। उसके सामने खाना लाकर रख देते थे।
लेकिन अब घर में अकेले पड़े-पड़े पायल को भूख लगने लगी। पायल खुद से बड़बड़ाने लगी, “अरे यार! बहुत भूख लग रही है। क्या करूँ? घर में कुछ है भी तो नहीं।”
पायल चिल्ला भी नहीं पा रही थी क्योंकि घर में वह अकेली थी। भला किस पर ही चिल्लाती?
फिर भी भूख बर्दाश्त करके वह कुछ देर सोई रही, लेकिन अब भूख काबू के बाहर हो रही थी। पायल की हालत रोने जैसी हो गई।
पायल, “माँ… भाभी, मुझे खाने को दो!”
अब उसे बिस्तर से उठना ही पड़ा, लेकिन उसे खाना बनाना नहीं आता था। इसीलिए उसने अपनी भाभी शीतल को कॉल किया।
शीतल, “क्या बात है? सुबह के 9 बजे कॉल कर रही हो?ये कैसे हो गया आज?”
पायल, “भाभी, बहुत भूख लगी है। जल्दी से कुछ बताओ, जो झटपट बन जाए।”
शीतल, “रोटी-सब्जी बना लो।”
पायल, “नहीं नहीं, रोटी-सब्जी बहुत मेहनत का काम है। कुछ आसान सा बताओ।”
शीतल, “ठीक है, तो फिर पोहा बना लो।”
शीतल उसे पोहा बनाने का तरीका बताती गई और पायल ने पोहा बना भी लिया। ज़िंदगी में पहली बार उसने कुछ बनाया, लेकिन उसमें बहुत मेहनत लग गई।
पोहा खाने के कुछ देर बाद उसे फिर से भूख लग गई। अब उसने खिचड़ी चढ़ा दी। घर भी बहुत गंदा हो रखा था, तो खिचड़ी बनते-बनते उसने घर भी साफ कर लिया
क्योंकि उसे गंदगी से नफरत थी। इस तरह धीरे-धीरे उसका आलस जाने लगा।
शाम को जब रोहन लौटा, तो उसने देखा कि पायल ने उसके लिए खिचड़ी बनाकर रखी थी।
रोहन, “अरे वाह! मेरे लिए खिचड़ी बनाई हो?”
पायल, “हाँ, खा के बताओ।”
इस तरह एक हफ्ते के अंदर पायल का आलस चला गया और वह घर का सारा काम सीख गई। तब जाकर रोहन ने उसे बताया।
रोहन, “पायल, असल में मेरी कोई नई नौकरी नहीं लगी थी। मैंने तो झूठ बोला था।
ऑफिस से एक महीने की छुट्टी लेकर यहाँ आया था। प्लान तो तुम्हें घर में अकेला छोड़ने का था। तुम तो एक हफ्ते में ही सब कुछ सीख गई।”
पायल, “समझ गई। भाभी भी इसमें भाभी भी शामिल हैं ना?”
रोहन, “हाँ, ये शीतल दीदी का ही प्लान था।”
लेकिन पायल ने बुरा नहीं माना। बल्कि उसने शीतल को कॉल करके थैंक यू कहा।
अब उसे काम करने में मज़ा आने लगा था और वह तरह-तरह का खाना भी बनाने लगी थी।
ये सुनकर विमला के दिल को भी तसल्ली मिली और पायल खुशी-खुशी अपने ससुराल में रहने लगी।
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