Desikahani Bhabhi Maa Short Story

Desikahani Bhabhi Maa Short Story: सुनिता….अब तुम ही समझाओ मोहन को …

से घर की मान- मर्यादा का कुछ भी ख्याल नही है जब देखो उस सावली- सी लड़की के साथ घूमता रहता है… क्या उसे कोई और लड़की नहीं मिलती यही एक हूर रह गई थी उसके लिए इस दुनिया मे….. रमेश सुनीता पर चिल्लाते हुए बोला…

अरे उसे तो छोड़ो उस लड़की के माता-पिता ने भी अपनी लड़की को कितनी छूट दे रखी है… ..

क्या कुंवारी लड़की को इस तरह जगह-जगह भटकने देना चाहिए….

इसमें बुराई क्या है जी…..अगर दोनो साथ आते जाते है साथ कालेज मे पढ़ते हैं दोनों दोस्त हैं इससे ज्यादा तो मुझे कुछ भी नहीं लगता और रंग रूप का किसी के चरित्र से क्या लेना-देना….

रंग तो भगवान का भी सावला था….

मैं उसे समझाने की सलाह दे रहा हूं और तुम भगवान से तुलना का ज्ञान बाँटने लगी….सुनिता चुपचाप पति रमेश की घटिया मानसिकता पर अफसोस कर रही थी…

पर वह कर भी क्या सकती थी शादी के बाद तो पत्नी अपनी बात तक रखने का अधिकार खो देती हैअपने रिश्ते को बचाने के लिए….

मर्द तो अपनी बात को मनवा ही लेता है वह भी कहां विचारो मे डुबकी लगाने लगी…..

तभी फिर से पति की आवाज ने उसकी तंद्रा भंग की….वो अब भी उसे यही कह रहे थे…

तुम मोहन से बात करना….सुन रही हो ना…

मैं क्या कह रहा हूं….

जी….करुंगी बात ….कहकर सुनीता चुप हो गई…..

तभी मोहन की आवाज आई जोकि गुनगुनाते हुए ऊपर वाले कमरे से सीढियों से उतर रहा था….

मोहन… कहां जा रहे हो…..

भाभी….मे….सीमा के घर जा रहा हूं……

मोहन ….वो तुम्हारी अच्छी दोस्त है या इससे भी कुछ अधिक….

भाभी वह मुझें बहुत अच्छी लगती है और मैं उससे प्यार करता हूं….

और सीमा….. क्या वो भी तुमसे….

तुम्हारे भाई को यह रिश्ता बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा है….तुम्हें पता है तुम्हारा भाई कितने जिद्दी है…..भैया इस रास्ते पर कदम सोच समझकर उठाना …..लडको का तो ठीक है पर एक लडकी …..समाज में हर कोई गलत नजरों से देखता है जब उसने बारे मे चार लोगों मे किसी लडके से उसका नाम जुड जाए तो …..

भैया घरवालों की भी बहुत बदनामी होती है और उस लडकी के शादी में ढेरों मुश्किल आती है…..

मोहन ने भाभी के सम्मान मे नजरे झुकाई और कहा -भाभी मे सीमा और उसके परिवार का सिर कभी नहीं झुकने दूंगा …मे कभी ऐसा कोई काम नही करुंगा जिससे उसकी और उसके परिवार की बदनामी हो ….मे आपके और भैया के नाम पर भी कभी कोई दाग नही लगने दूंगा …..कहकर चला गया….

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अगले दिन….सुनीता…. सुनीता … एक खुशखबरी है तुम सुनोगी तो खुशी से झूम उठोगी….

मैंने मोहन का रिश्ता पक्का कर दिया है अपने एक दोस्त की बेटी से….

बड़ी होनहार, सुंदर और सुशील है और उससे भी बड़ी बात वह इकलौती संतान हैं….

आखिर कुछ समय बाद सब कुछ अपने मोहन का हो जाएगा….दान दहेज दिल खोलकर देगे …

गाड़ी भी देने की जिद कर रहे थे…और लड़की तुम देखोगी तो देखती रह जाओगी….

बिल्कुल परी जैसी है….सच बहुत किस्मत वाला है मोहन …..

पर क्या आपने मोहन से इस बारे मे बात की है….

अरे उससे कया पूछना …..बडा भाई हूं उसका ….उसका बुरा थोड़ी चाहूंगा ….देखना ऐश करेगा ऐश …..

पर हमें मोहन से इस बारे में एक बार पूछना चाहिए था जी…..

उससे क्या पूछना है …..फालतू की बातें मत करो….

अच्छा ठीक है आने दो कालेज से शाम को मैं उसे भी खुशखबरी सुना दूंगा…..

शाम को घर में महाभारत हो गई दोनों भाई एक दूसरे की बात मानने को तैयार नहीं थे….

दोनों अपने-अपने तर्क दे रहे थे….

मोहन तुम्हें मेरे सम्मान का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है… तुम मेरी इज्जत मिट्टी में मिला कर ही चैन की साँस लोगे……अगर तुम्हें मेरी इज्ज़त का ख्याल नही और तुम मेरे तय किए रिश्ते को नही मानोओगे तो इस घर मे तुम्हारी कोई जगह नहीं ….समझे ….फैसला अभी करना होगा तुम्हें ….

मोहन चुपचाप बुत बना खड़ा था…. ..

वह रोने लगा ….एक तरफ उसके माता पिता समान भैया भाभी थे तो दूसरी ओर उसका प्यार ….

उसे समझ नही आ रहा था वो कया करें …..

वह जैसे ही उठकर जाने लगा …तो सुनीता खुद को रोक नहीं सकी…

बैठ जाओ मोहन वरना आज के बाद…..

मोहन भाभी की बात मानकर चुपचाप बैठ गया…

रमेश सुनीता का यह रूप पहली बार देख रहा था……

मोहन प्यार करते हो सीमा से तो सीना ठोक कर स्वीकार करो….

वरना चुपचाप घोड़ी पर चढ़ जाओ जहां तुम्हारे भैया चाहते है पर एक बात अच्छी तरह सोच लेना….

क्या तुम आने वाली लड़की के साथ न्याय कर पाओगे… तुम्हें कोई हक नहीं है..,..

दो-दो जिंदगी खराब करने का….प्यार करने से पहले सोचना था..परिवार के बारे में…

जब प्यार करने से पहले किसी के बारे में नहीं सोचा तो अब क्यो…. सच्चाई को स्वीकार करो….

अपनी खुशी के बारे में सोचो…

कल को अपने भाई को दोषी नहीं ठहराना….

भाभी मै सीमा के सिवाय किसी लड़की के बारे में सोच भी नहीं सकता…..

मैं उसे पूरे मन से अपनी बनाना चाहता हूं मैंने उसे स्वीकार कर लिया है……

ये तुम कया पाठ पढा रही हो सुनीता ….रमेश चीखा….

बस …..आज तक मे चुप थी कयोंकि मे एक पत्नी रुप मे अपने पति का मान रखें हुई थी मगर आज ….आज बात मेरे बेटे की है उसकी खुशियों की है .. .आज एक मां अपने बेटे की खुशियों की बलि नही चढने देगी …..

हां मोहन मेरा बेटा है मैने अपने बेटों जैसा स्नेह और ममता दी है उसे और यदि वो सीमा के साथ खुशी खुशी जिंदगी बीताना चाहता है तो उसके लिए उसकी खुशियों के लिए मे आपके सामने खडी हूं …..रमेश चुपचाप सुनीता के चेहरे का एक भाभी से मां का बदलता हुआ रुप देख रहा था……..

आखिर मोहन की खुशियों और प्यार के लिए उसे एक मां के आगे झुकना पड़ा ….और मोहन और सीमा की शादी के लिए वह भी तैयार होगया

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Desikahani Bhabhi Maa

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