मैकेनिक की बेटी को गूगल में मिला लाखों का पैकेज: पिता ने रिश्तेदारों-दोस्तों ने उधार लिए थे पैसे; लोग कहते थे- इतना मत पढ़ाओ..!!

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मैकेनिक की बेटी को गूगल में मिला लाखों का पैकेज:पिता ने रिश्तेदारों-दोस्तों ने उधार लिए थे पैसे; लोग कहते थे- इतना मत पढ़ाओ..!!

बाड़मेर
ट्रकों-बसों को रिपेयर करने वाले पिता ने बेटे-बेटी को पढ़ाने के लिए हर दोस्त, हर रिश्तेदार से पैसे उधार मांगे। लोगों ने ताने भी मारे- बच्चों को इतना मत पढ़ाओ, दूर चले जाएंगे। बुढ़ापे में अकेला छोड़ जाएंगे। पिता ने तानों की परवाह नहीं की।

कविता के पिता गोमाराम बालोतरा में बसों-ट्रकों की रिपेयरिंग का काम करते हैं।

बेटी को अब गूगल कंपनी से सॉफ्टवेयर डवलपर का लाखों की सैलरी का जॉब ऑफर हुआ है। वह अक्टूबर में बेंगलुरु (कर्नाटक) जॉइन करेगी। जब कविता से पूछा कि कितने का पैकेज मिला है। तो उसने बताया कि कंपनी पॉलिसी के तहत जॉइन करने से पहले वह इसके बारे में जानकारी नहीं दे सकती। शनिवार को वे पुणे (महाराष्ट्र) रवाना हो गईं। जहां एक कंपनी में जॉब कर रही हैं।

बालोतरा की बेटी कविता काकड़ को गूगल से जॉब ऑफर मिला है।

ये कहानी है राजस्थान के नए जिले बालोतरा के उपखंड बायतु के छोटे गांव मादासर की निवासी कविता काकड़ (22) की। कविता के माता-पिता बालोतरा शहर में रहते हैं। पिता गोमाराम काकड़ बालोतरा में ही मैकेनिक का काम करते हैं।

गोमाराम के दो बेटे और एक बेटी है। बड़ा बेटा प्रेम और बेटी कविता ने खड़गपुर IIT से पास आउट हैं। एक बेटा हरीश NIT कालीगढ से बीटेक है। तीनों बालोतरा के सरकारी स्कूल (महर्षि गौतम सीनियर सेकेंडरी स्कूल) में पढ़े हैं।

सबसे बायें कविता, बड़े भाई हरीश और प्रेम।

स्कूल में किया सम्मान तो सुनाई संघर्ष की दास्तान

हाल ही (शुक्रवार) बालोतरा के महर्षि गौतम सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कविता को पूर्व मंत्री अमराराम चौधरी ने साफा पहनाया। स्कूल स्टाफ ने माला पहनाई। छात्राओं ने हाथ मिलाया। गूगल से ऑफर लेटर मिलने के बाद इस स्कूल की पूर्व छात्रा कविता के सम्मान में यह कार्यक्रम हुआ।

इसी स्कूल से कविता ने कक्षा 3 से 10वीं तक पढ़ाई की थी। मां सोहनी देवी गृहणी हैं।

कविता ने बताया- मैं अपने स्कूल की आभारी हूं। यहां मुझे बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने की सीख दी गई। जब में यहां तीसरी क्लास में थी तो भाई के साथ रोते हुए स्कूल आती थी।

दसवीं में 85.83 प्रतिशत नंबर आए।इसके बाद जोधपुर में जेईई की कोचिंग की और वहीं से 12वीं 79.80 प्रतिशत अंकों से पास की। मैंने हिंदी में जेईई एग्जाम दिया। पास हुई और आईआईटी खड़गपुर में साल 2019 एडमिशन हो गया था। खड़गपुर में फर्स्ट ईयर मेरे लिए बहुत टफ रहा।

IIT में सारे पेपर इंग्लिश में होते हैं। सर भी इंग्लिश में बात करते हैं। मेरी अंग्रेजी तब अच्छी नहीं थी। सर क्या पढ़ा रहे हैं, ये भी समझ नहीं आता था। रूममेट से काफी मदद मिली। बड़े भैया प्रेम पढ़ाई के लिए एक साल तक मैटीरियल भेजते रहे।

मेरे भाई का बड़ा सपोर्ट रहा है। मुझसे पहले आईआईटी खड़गपुर में उन्हें एडमिशन मिल गया था। भाई ने लगातार मदद की। गलतियों में सुधार कराया। भाइयों का सपोर्ट नहीं होता तो मैं आईआईटी नहीं कर पाती।

बड़े भाई प्रेम के साथ कविता की तस्वीर। प्रेम भी आईआईटी पासआउट है।

टूटी-फूटी इंग्लिश बोलना शुरू किया, टीचर मददगार रहे

खड़गपुर कॉलेज में टूटी-फूटी इंग्लिश में मैंने बोलना स्टार्ट किया। टीचर सभी फ्रेंडली और मददगार रहे। लैब असिस्टेंट टीचर अरात्रिका मंडल ने एक्स्ट्रा क्लास लेकर पढ़ाया। गलतियां होने पर सुधार कराया। दूसरे सेमेस्टर से मैंने पकड़ बना ली। फिर मार्क्स अच्छे आने लगे। मैं कॉलेज में दूसरी एक्टिविटीज में भी भाग लेती रहती थी।

खड़गपुर से ब्रांच B.Tech इंजीनियरिंग (OCean Engg and naval architecture and Micro in artifcial, Intellignece and Application) में किया था। इसका चार साल का कोर्स था। इसके साथ एआई में माइक्रो सैटेलाइट कोर्स किया।

खड़गपुर IIT से 2023 में पासआउट होने के बाद 15 मई 2023 में प्राइवेट कंपनी (Conves Genius) में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर जॉइन किया। वहां अभी सॉफ्टवेयर डवलपर के तौर पर काम कर रही हूं।

गूगल कंपनी में पहला इंटरव्यू जून में हुआ था। लगातार 7-8 राउंड इंटरव्यू हुए। अगस्त में फाइनल इंटरव्यू के बाद चार दिन पहले ही ऑफर लेटर मिला है। गूगल में अक्टूबर के फर्स्ट वीक में सॉफ्टवेयर इंजीनियर (SED-II) के पद पर बेंगलुरु (कर्नाटक) में जॉइन करूंगी।

Mechanic's daughter gets package worth lakhs from Google

पिता गोमाराम और माता सोहनी देवी के साथ कविता।

सफलता के पीछे माता पिता का संघर्ष

इस सफलता के पीछे मुझसे ज्यादा माता पिता ने संघर्ष किया। पिता ने पढ़ाने के लिए कर्ज तक लिया। जब हमारी नौकरी लगी तो पापा खुशी से रोने लगे। भाई का चयन इसी साल जुलाई में टाटा मोटर्स में हुआ है और मेरा गूगल में।

पापा पढ़ाई के लिए कर्ज लेते तो लोग कहते थे कि बच्चों को इतना मत पढ़ाओ, एक दिन आपको अकेला छोड़कर दूर चले जाएंगे। बुढ़ापे में सेवा नहीं करेंगे। लेकिन पिता ने हमें पढ़ाने की फैसला किया। परिवार को बहुत ताने सुनने पड़े।

पापा की इतनी इनकम नहीं थी कि आईआईटी में पढ़ाने-रहने का खर्च उठा सकें। हमें अच्छे मार्क्स होने से स्कालरशिप मिली लेकिन फिर भी खर्चा ज्यादा था। पापा ने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे उधार लिए, ताकि हमारी पढ़ाई चलती रहे।

कविता ने बताया- मैं खुद का व्यापार शुरू करना चाहती हूं। फिलहाल आर्थिक परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं। जब तक चलेगा, नौकरी करूंगी। ड्रीम तो बिजनेस है ही।

बालोतरा के स्कूल में कविता के सम्मान में रखा गया कार्यक्रम।

तीनों बेटा-बेटी हुए कामयाब

बालोतरा में ट्रक रिपेयर करने वाले गोमाराम के तीनों बेटा-बेटी सरकारी स्कूल में पढ़कर ऊंचे मुकाम तक पहुंचे। गोमाराम के बड़े बेटे प्रेम का चयन (2015-19) IIT खड़गपुर में हुआ था। इसके बाद कविता का चयन (2019-2023) IIT खड़गपुर में हुआ। प्रेम खुद का बिजनेस सेटअप करने में लगा है। दूसरा बेटे हरीश ने एनआईटी कालीगढ से बीटेक और एमएनआईटी जयपुर से पढ़ाई की है। वह फिलहाल टाटा में प्रोजेक्ट मैनेजर है।

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