Desi Kahani: मैं कल से कॉलेज नहीं जाऊंगी

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Desi kahani:- “पापा, मैं कल से कॉलेज नहीं जाऊंगी… अब और बर्दाश्त नहीं होता मुझसे,” कोयल ने लगभग रोते हुए अपने पिता सुंदर से कहा।


“क्या हुआ बेटी, बताओ कुछ, यूँ रोना बंद करो, बताओ भी,” सुंदर ने पूछा।


“पापा, रोज आते-जाते रास्ते में एक लड़का है, जो मुझे छेड़ता है, फिकरे कसता है। उसके साथ दो-चार लड़के और भी रहते हैं। उन्होंने मेरा रास्ते चलना मुहाल कर दिया है,” कोयल ने आँखों में आँसू भरते हुए कहा।


“कौन कुत्ते हैं, तू अभी चल मेरे साथ। मैं उसकी खाल उधेड़ दूँगा,” सुंदर ने ताव खाते हुए कहा।
“नहीं, मैं नहीं जाऊंगी, आप ही जाओ। उसका नाम शमशेर है,” कोयल ने बताया।


सुंदर बहुत गुस्से में भर गया और लौटकर उसका चेहरा उतरा हुआ था।
“क्या हुआ, कोयल के पापा, उसे अच्छे से धमका आए न?” कोयल की माँ ने पूछा।


“अरे, वो तो गुंडे हैं पूरे। छः-सात जने थे, जो मरने-मारने पर उतारू हो गए। उन्होंने धमकी दी है कि अगर ज्यादा गर्मी दिखाई तो कोयल पर तेजाब डाल देंगे,” सुंदर ने घबराए हुए कहा।


“ओह, अब क्या होगा? ये तो बहुत बड़ी बात हो गई। मेरी फूल सी बच्ची कितनी तकलीफ में आ जाएगी,” कोयल की माँ बहुत घबरा गई।


“वो लड़का अपने ननिहाल में रहता है यहाँ। मैंने उसके नाना का पता कर लिया है। उससे मिलकर गुहार लगाऊंगा कि अपने नाती को समझाए और वो हमारी कोयल को परेशान करना छोड़ दे। मैं उसके पास जाकर आता हूँ,” कहते हुए सुंदर उठ खड़ा हुआ।


“मैं भी चलती हूँ, मैं भी उससे विनती करूंगी,” कोयल की माँ ने कहा।
“नहीं, मैं ही जाता हूँ,” कहकर सुंदर चला गया।


“जी, वो आपका नाती मेरी बेटी को राह चलते छेड़ता है, उसे समझाइए यूँ मेरी बेटी को न सताए। उसकी और मेरी इज्जत का सवाल है। मेरी बेटी कहती है कि वो अब कॉलेज नहीं जाएगी,” सुंदर ने गिड़गिड़ाते हुए शमशेर के नाना से कहा।


“सुषमा याद है तुम्हें?” उस बुजुर्ग ने कहा।
“सुषमा… ओह… ह्म्म्म,” सुंदर ने बैठे हुए दिल से कहा।


“याद है न, तुम और तुम्हारे दो-चार लफंगे दोस्त मेरी बेटी सुषमा को स्कूल जाते वक्त छेड़ते थे। मैंने अपनी इज्जत के लिए उसकी स्कूल बीच में छुड़वाकर उसकी शादी कर दी थी। मैंने भी वही दर्द महसूस किया है जो आज तुम कर रहे हो। वक्त अपना बदला लेता है, कल कोई सुंदर था आज कोई शमशेर है। वैसे बता दूं, ये शमशेर सुषमा का ही बेटा है।

वो अपनी माँ के साथ किए गए दुर्व्यवहार का बदला ले रहा है और मुझे इससे सुकून मिल रहा है। चले जाओ यहाँ से इससे पहले कि शमशेर आकर तुम्हारे साथ हाथापाई करे,” उस बुजुर्ग ने सुंदर को अपने शब्दों के साथ जैसे जोर से जमीन पर ला पटका हो।


सुंदर ने एक-दो मोहल्ले वालों से मदद के लिए कहा। सबने उसे यही कहा, “भाई, अपने कर्म भूल गया क्या? मोहल्ले की लड़कियों को कितना सताया है तूने? अब खुद पर आई है तो मदद मांग रहा है… कोई मदद नहीं करेगा, कौन गुंडों के मुँह लगे।”


सुंदर बिल्कुल टूटा हुआ घर आ गया। “क्या कहा उस आदमी ने?” कोयल की माँ ने पूछा, कोयल भी वहीं बैठी थी।
“अरे, वो बुड्ढा तो बहुत अकड़ू है। बोला, मैं क्या करूँ? जवान लड़के घरवालों की बात कहां मानते हैं। सुनो, क्यों न हम पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दें,” सुंदर ने हिम्मत दिखाते हुए कहा।


“पापा, पुलिस में शिकायत दर्ज की तो वो गुस्से में आकर मुझ पर तेजाब न फेंक दें। अखबार में बहुत पढ़ने को मिलता है और पुलिस भी उनको क्या सजा दिलवा पाएगी? साल-छह महीने से ज्यादा तो सजा होगी नहीं उन्हें,” कोयल ने आशंका जताई।


“अब मैं क्या करूँ बेटी, कहाँ जाऊँ, किससे मदद मांगू? मोहल्ले में भी कोई साथ देने को तैयार नहीं है,” सुंदर ने बिल्कुल निढाल और लगभग रोते हुए कहा।


“मोहल्ले वाले तो तब मदद करते न पापा, जब आप एक अच्छे इंसान होते। पूरे मोहल्ले की लड़कियों को आपने अपने दो-चार लफंगे दोस्तों के साथ मिलकर परेशान किया है। अब कहाँ हैं वो आपके लफंगे दोस्त? कितनी लड़कियों की पढ़ाई आप जैसे शोहदों और दिल फेंक आशिकों की वजह से उनके घरवालों ने छुड़वा दी, क्योंकि उन सबमें भी जैसे आज आपकी हिम्मत नहीं है। जानते हो, वो जो शमशेर है न, उसकी माँ का नाम सुषमा है।

वो पढ़-लिखकर एक टीचर बनना चाहती थी। उसकी पढ़ाई आपके कारण छूट गई। उसकी जल्दी शादी करवा दी गई।

वो तो उसका पति अच्छा था जिसने उसे पढ़ाया और वो मेरे कॉलेज में अब प्रोफेसर है… और ये शमशेर मुझे कोई छेड़ता-वेडता नहीं है। उसकी माँ ने उसे महिलाओं का सम्मान करना सिखाया है। वो तो मुझे आपकी करतूतों का पता चला तब मैंने शमशेर और उसकी माँ के साथ मिलकर आपको सबक सिखाने के लिए ड्रामा किया है।

पापा, आप जो दूसरों के साथ करते हैं न, वो आपको भी कभी देखना पड़ सकता है… इसलिए किसी को सताना नहीं चाहिए… आपने वो कहावत तो सुनी होगी न… ‘मत सता लड़की को, पाप होगा, तू भी किसी दिन किसी लड़की का बाप होगा।'”


कोयल ने हिकारत भरी नजरों से सुंदर से कहा।
सुंदर सर झुकाए अपने पाँवों से जमीन कुरेद रहा था।


“आप अपने किए गए अपराध का प्रायश्चित कर सकते हैं। आप लोगों को समर्थन में लीजिए और एक अपना ग्रुप बनाइये जो मोहल्ले की लड़कियों को छेड़ने वालों को सबक सिखा सके। 10 के आगे पांच का कोई मोल नहीं रहता। आप ये करेंगे तो आसपास के मोहल्लों में भी ये बात जाएगी।

वे भी शायद ऐसा कोई ग्रुप बना लें, जिसका उद्देश्य हो ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ।’ पापा, आपको ये करना ही होगा… कहीं से तो नई शुरुआत होनी ही चाहिए,” कहकर कोयल अपने शर्मिंदा हुए पापा के गले से लग गई।

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