Desi Kahani: मायके के लोगो को भूल कर के भी अपने परिवार में  दखलंदाजी ना करने दें ?

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Desi kahani का वर्णन करते हुए, आप कह सकते हैं कि ये हिंदी भाषा में लिखी हुई कहानियां हैं जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और लोगों के जीवन की घाटाओं पर आधारित होती हैं। ये कहानियाँ अलग-अलग विषयों पर लिखी जाती हैं जैसे प्रेम, परिवार, सामाजिक मुद्दे, और सामाजिक बातचीत। देसी कहानियाँ अक्सर हमारे दैनिक जीवन की अनुभव को दर्शाती हैं और हमें सामाजिक सन्दर्भ में सोचने और समझने की दिशा में प्रेरित करती हैं।

Desi Kahani

जब मेरी शादी हुई थी तो उस समय मेरी उम्र 30 साल थी 
ऐसा नहीं है की लड़के नही मिल रहे थे, काफी लड़के मिले लेकिन कुछ ने मुझे रिजेक्ट कर दिया और कुछ को मैने
30 की उम्र होते होते जवानी भी ढलने लगी थी और किसी भी कीमत में कोई लड़का शादी करता तो उसकी उमर 30 साल से ज्यादा होती

बनारस के अच्छे परिवार में शादी हुई, मेरे पति पढ़े लिखे और एक स्कूल में टीचर थे हमारे बीच प्यार था
उनका पढ़ा लिखा होना और मेरा सिर्फ 12 पास होना कभी हमारे बीच नहीं आया

चूंकि मेरा परिवार काफी बड़ा था तो सास ससुर ननद सभी थे, सारा दिन काम करने के बाद जब मैं अपने बहन  और भाई से फोन पर बात करती तो वो मुझे बोलते की तुम अपना ध्यान दो सिर्फ काम मत करो
तुम्हारी शादी की गई है तुम कोई नौकर नही हो, और मुझे भी उनकी बातें सुन कर लगता की ये सही बोल रहे हैं

ये सिलसिला 1 2 महीना चला और उसके बाद अचानक से मेरे पति घर पर आते और बोलते की अपनी बहन और। भाई से कम बात किया करो

मैने बोला क्यों क्या हो गया ऐसा इसपर वो कुछ नहीं बोले लेकिन जब वो स्कूल जाते तो अब मैं रात की जगह दोपहर में ही उनसे बात करती

4 5 दिन बाद वो फिर मुझे मना किए और इस बार कहा की ये घर तुम्हारा है, तुम्हे जैसे रहना है रहो लेकिन किसी बाहरी का इंटरफ्रेयर मुझे बर्दश नही होगा

जब मैने अगले दिन ये बात अपने भाई और बहन को बताई तो वो भड़क गए और बोले तुम बोलो तो अभी घर आके उन्हें बताते हैं काफी काफी भला बुरा बोला
यहां तक बोला की तुम्हे कोई दिक्कत है तो आजाओ यहां वापस

अगली सुबह पति ने मुझसे मेरा फोन ले लिया और बोला आज के बाद तुम अपने मायके वालों से बात नहीं करोगी
मुझे लगा की मैने घर पे सब बात बताई है हो सकता हो मेरे भाई और बहन ने इन्हे उल्टा सीधा बोला हो
इसके अलावा मेरे पति ने और कुछ नही बोला

मेरे मायके के लोग कई बार मुझे फोन किया और जब कॉल rec नही हुई तो उन्होंने मेरे पति के फोन पर फोन किया

उन्होंने साफ मना कर दिया की आप लोग थोड़ा कम कनेक्शन रखिए
इतने में अगले दिन मेरे घर के लोग मेरे ससुराल आते हैं

और मेरे पति और घर वालो अपर चलाते हैं की पहले तो किसी ने कुछ नहीं बोला

उसके बाद मेरे पति मेरा फोन लेके आते हैं और सारी बातें जो मेरी बहन से हुई और भाई से हुई सबके सामने रिकॉर्ड किया हुआ सबको सुनाते हैं

अब मुझे पता चला की मेरे फोन में सारी बात रिकॉर्ड होती थी जिसे सुनने के बाद मेरे पति मुझे बात करने के मना करते थे

बात और बढ़ गई मेरी बहन ने मुझे घर चलने को कहा और बोला इन सब से रिश्ता तोड़ लो

मेरे पति ने बोला ये घर तुम्हारा है, लेकिन मैं तुम्हे जबरदस्ती नही रोकूंगा, ये फैसला तुम खुद करो तुम्हे हमारे यहां रहना है या अपने मायके वापस जाना है

बस ये याद रखना अगर यहां रहना है तो अपने मायके वालों से रिश्ता तोड़ना होगा

और अगर मायके जाना है तो मुझसे रिश्ता तोड़ना होगा

मेरे भाई ने बोला ऐसे परिवार में रहना जेल में बंद होने जैसा तुम हमारे साथ चलो इससे अच्छे घर तुम्हारी शादी होगी

मुझे भी लगा अभी सिर्फ। 6 महीना हुआ और ये स्थिति है आगे पता नही क्या हो

मैं अपनी बहन और भाई के साथ मायके वापस आ गईं
कुछ समय बाद उन्होंने तलाक के लिए अर्जी दी,

मैं अंदर से डर गई और सोचा एक बार फिर से मौका दिया जाए लेकिन तभी मेरी बहनों ने मुझे मना कर दिया और तलाक के साथ ये मांग रखने को कहा की शादी में लगे सारे गहने दें और जो पैसे खर्च हुए हैं वो दें

मेरे पति ने तुरंत हो शादी के सारे गहने दिए, साथ में enegemnt की रिंग भी लौटा दी

और 2 सप्ताह में जितने पैसे खर्च हुए थे उससे ज्यादा लौटा दिए

और तलाक का प्रोसेस शुरू हुआ और हमारा तलाक हो गया

उसके 2 साल बाद उनकी दूसरी शादी हो गई और वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं

इस बात को हुए 10 साल का समय बीत गया और मेरी उम्र 40 साल हो गई है,

मेरे पति ने कभी मुझसे ऊंची आवाज में बात नही की, ना ही किसी और चीज की कमी होने दी आज पीछे मुड़ कर देखती हूं तो लगता है की मेरी बहन और मेरे भाई मुझे गलत बातें सीखाते थे,

मेरे पति मुझसे बस ये उम्मीद रखते थे की मैं घर तोड़ने का काम ना करूं

आखिरी बार भी उन्होंने मुझे ऑफर दिया था लेकिन मैने अपनी मूर्खता से उसे उसे ढुकरा कर उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचा दी थी

तभी शादी के पैसे और गहने सब कुछ वो तुरंत वापस कर दिए

आज मैं अकेली हूं मेरे 2 भाई और 3 बहन हैं लेकिन सब। अपने में व्यस्त हैं
दोनो भाई अपने परिवार में व्यस्त हैं

और दोनो बहनों का अपना घर है और वो बखूबी उसे संभाल रही हैं

अगर सही समय पर मैने अपने मन की बात सुनी होती और पति की बात मानी होती तो आज मुझे ये दिन देखना नही पड़ता

जो लोग भी मेरी ये स्टोरी पढ़ रहे हैं अगर उनकी शादी नही हुई है खास तौर पर लड़किया तो आप एक बात याद  रखिए
आप का घर आप का ससुराल है उसे आप पहली प्राथमिकता दीजिए क्यों की मायका सिर्फ मां बाप से होता है भाई बहन आज नही तो कल अपने परिवार में व्यस्त होंगे

और अगर आप अपने भाई बहन की बात मान कर मेरी तरह अपना घर खुद तोड़ना नही चाहती हैं तो मायके तक उतनी ही बात पहुंचाएं जितनी ज़रूरी हो

और मायके के लोगो को भूल कर के भी अपने परिवार में  दखलंदाजी ना करने दें ?

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