Kahani in Hindi : बस स्टॉप भाग 1
सुधा और मै (रोहित) एक बस स्टॉप से अपने ऑफिस जाया करते थे
वो एक स्कूल में टीचर थी मैं एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब करता था सुधा बहुत शांत और सादगी पसंद लड़की थी हमेशा गंभीर मुद्रा में रहती थी मुझे भी जायदा बोलना पसंद नही था
एक अजीब वाक्या रोज होता था।
उसके हाथ में एक गुलाब का फूल रोज होता था जिसे वो थामे रखती थी शुरू मे कभी हिम्मत ना हुई पूछने की।इसके पीछे कारण क्या।
वैसे भी मुझे काम का बहुत प्रेशर होता था तो ध्यान उस तरफ नही जाता था धीरे धीरे एक रूटीन सा बनने लगा एक वक्त पर हम दोनो बस स्टाप पर आमने सामने हो जाते थे मगर कोशिश दोनो की तरफ से ना हुई बात करने की।एक दिन सुधा ने मुझे मेरे नाम से बुलाया मै एक दम से अचंभित हो गया। उसे मेरा नाम कैसे मालूम। मैने मुड़ के कहा जी कहिए,उसने कहा कि आप के पास चेंज मिलेगा 500 का मैने कहा चेंज तो नही हां आप ये 100 का है आप कल मुझे वापिस कर देना। एक बार तो उसने मना कर दिया।
फिर ना जाने क्या मन में आया उसने हां कर दी।हम दोनो अपने अपने ऑफिस चले गए।
अगले दिन सुबह उसने आते ही सबसे पहले 100 रूपये वापिस किए और मेरा धन्यवाद किया।
मैने वो पैसे ले लिए। और एक दम से पूछा आपको मेरा नाम कैसे पता।
सुधा एक दम से मुस्कराई।आज पहली बार मैने उसे मुस्कराते हुए देखा।उसने कहा की आप को अक्सर कॉल पर बात करते सुना। बस तभी जानती हु नाम आपका।
मुझे मेरे सवाल का जवाब तो मिल गया। मगर ना जाने क्यों उसकी हंसी कही न कही दिल में कुछ अलग सा कर गई।बस फिर धीरे धीरे बातचीत का कारवां शुरू हो गया।
फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके पूछ लिया की ये गुलाब का किस्सा क्या है सुधा ने कहा की लंबी कहानी है
फिर एक दिन मै सुधा के साथ में ही बस में सवार हो गया है आज आप कैसे मेरे रूट पर।मुझसे झूठ नही बोला गया। मैने कहा तुम्हारी कहानी सुननी है।
सुधा ने मुस्करा का नजर फेर ली। मानो मेरी जान निकल गई हो। उसने बताया कि उसकी मंगनी को दो साल होने को है वो अपने मंगेतर को बहुत प्यार करती है वो ही पहला और आखरी लड़का उसकी जिंदगी में आया था वो आजकल विदेश में study करने गए हैं ये गुलाब उन्ही के लिए खरीदती हूं उसके मुंह से निकला एक एक लब्ज़ चुभ रहा था लग रहा था सब खत्म हो गया। मै बिना बोले ही अगले स्टॉप पर उतर गया।
अनुराज
शेष अगले भाग में।
भाग2
बड़ा अजीब लगा रोहित का बर्ताव देख कर।मगर उसने ऐसा किया क्यो।यही सोच रही थी सुधा। फिर वो भी अपने स्कूल में चली गई
मगर उसका मन काम में नही लग रहा था आखिर रोहित ने ऐसा किया क्यो। वो स्टॉफ रूम में जाकर इसी सोच विचार में थी तभी उसकी फ्रेंड आ गई। सुधा आज इतनी उदास कैसे लग रही हो।कुछ हुआ क्या।
सुधा ने उसे सारा वाक्या बताया।
तो उसने एक दम से कहा कही रोहित को तुमसे प्यार तो नही हो गया। और वो ये जानकर तुम्हारी मंगनी हो गई है उसे बुरा लगा हो।
सुधा एकदम से सकपका गई।
अरे ऐसे कैसे।ऐसा तो कुछ था भी नही ना मेरी तरफ से ना उसकी तरफ से। सुधा और बेचैन हो गई।
अब उसे ये बात क्लियर करनी थी रोहित से।कही वो गलत ना समझ ले । अब उसके लिए एक एक पल भारी हो रहा था कब वो घर जाए और सुबह रोहित से साफ साफ बात करे।उस दिन पहली बार सुधा ने गुलाब नही खरीदा।वो आज कुछ जल्दी ही बस स्टॉप पर आ गई।
काफी वक्त बीत जाने पर भी रोहित नजर नही आया। उसके लिए अब और दिक्कत हो गई। आखिर वो मन मसोस कर चली गई।उसका मन नही लग रहा था स्कूल में।जैसे उसे आत्मगलानी हो रही हो।वो रोहित को सिर्फ एक दोस्त मानती थी और और प्यार वो अपने होने पति से करती थी रोहित अगले दिन भी नही आया। अब उसे चिंता होने लगी।कहा गया रोहित कुछ हुआ तो नही उसकी वजह से। काफी दिन बीत गए। धीरे धीरे सुधा अपने काम में व्यस्त हो रही थी उसकी शादी की तारिख भी नजदीक आ रही थी।
लेकिन अब उसकी नजर रोहित को ढूंढती रहती थी। कैसे उससे बात हो और उसे सब क्लियर करे। एक दिन
अचानक से रोहित सुधा के स्कूल पहुंच जाता है सुधा के मानो जैसे ख्वाइश पूरी हो गई हो।मगर उसने अपनी खुशी जाहिर नही की। उसने रोहित से स्कूल के बाद मिलने के लिए बोलती है ताकि कुछ वक्त अच्छे बात कर सके।वो स्कूल में कोई मुद्दा नहीं चाहती थी।
फिर दोनो एक कॉफी शॉप में मिलते हैं रोहित सुधा से अपने बर्ताव के माफ़ी मांगता है और बोलता है उस दिन जो भी हुआ मुझे नही करना चाहिए था सुधा उसे समझाती है की उसके मन में रोहित के लिए ऐसा कुछ भी नही ना ही ऐसा कोई विचार लाना चाहती है रोहित उसे बताता है कि उसने जॉब छोड़ दी और अब वो बैंगलोर जा रहा है वही पर जॉब करेगा। सुधा को बड़ा अजीब सा लगा मगर उसने ऐसे भाव नही दिखाया की रोहित को कुछ और लगे। बस सुधा ने कहा उसकी शादी में जरूर आना।मगर रोहित ने एक दम से मना कर दिया।
बस उठा और बिल दे कर चला गया।सुधा देर तक टकटकी लगाए बैठी रही।सुधा को भी समझ नही आ रहा था उसे हो क्या रहा है सुधा अटपटे मन से उठी और घर की और चल दी।उसका मन ना घर में लग रहा था ना स्कूल में।
वक्त गुजरता गया। रोहित ने बैगलोर में नई कंपनी ज्वॉइन कर ली। वो सिर्फ सुधा से दूर जाना चाहता था।
मगर शायद किस्मत में कुछ और लिखा था। रोहित की अपने सीनियर विवेक से बहुत बनती थी वैसे विवेक बहुत तेज तर्रार आदमी था उसे मालूम था कि किस से कैसे काम लिया जाता है विवेक भी अभी विदेश से वापिस आया था विवेक पार्टी का बहुत शौंक रखता था और females में जल्दी ही famous हो गया था जबकि रोहित इन चीजों से बहुत परहेज रखता था एक दिन विवेक ने अपने फ्लैट पर पार्टी रखी।
जहा उसने बहुत कम लोगो को बुलाया। हालाकि मै इच्छुक नहीं था वहा जाने में।मगर विवेक ने बहुत जोर दे कर मुझे बुला ही लिया।
मै दिए वक्त पर पहुंच गया था अभी तक कोई वहा पहुंचा नही था
मै और विवेक इधर उधर की बाते करने लगे। फिर विवेक के बाकी फ्रेंड्स भी आ गए। विवेक ने मुझे सबसे मिलवाया। उनमें एक सलोनी भी थी सलोनी विवेक बहुत करीबी जैसे उसने बताया। पार्टी शुरू होते बहुत टाइम लग गया। शराब डांस में सब इतने मशगूल हो गए वक्त का पता नही चला।मेरे लिए बहुत uncomfort था सब कुछ।
मैने विवेक से काफी request की जाने।
मगर विवेक ने जाने नही दिया।और कहा अगर कंफर्ट नही तो यार खाना खा कर दूसरे रूम में सो जाओ।
अब जाना नही। मै जिद भी नही कर सकता। मुझे नहीं मालूम कब आंख लग गई। करीब सुबह चार बजे आंख खुली सब लोग जा चुके थे।
सिर्फ सलोनी और विवेक थे उन दोनो ने बहुत पी रखी थी। मुझसे हिम्मत नही हुई उनके करीब जाने की। फिर से रूम में जाकर लेट गया। सुबह करीब 8 बजे विवेक ने उठाया और कहा ready हो जाओ ऑफिस चलते हैं सलोनी तब तक जा चुकी थी।हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे
विवेक ने खामोशी तोड़ते हुए कहा।
कैसी लगी पार्टी। मैने कहा बहुत अच्छी।यार तुम तो बिलकुल भी एंजॉय नही करते। चलो कोई बात नही धीरे धीरे सीख जाओगे।
अच्छा सलोनी कैसी लगी। मैने कहा हां अच्छी है मुझे बहुत पसंद है ये।
मगर! मै इससे शादी नही कर सकता। मैने कहा क्यों क्या हुआ।
उसने कहा की मेरी मंगनी हो चुकी।
और मै सलोनी विदेश में मिले थे मेरी मंगनी के बाद।मेरा दिमाग कही और चला गया।जैसे कोई कहानी के तार जुड़ रहे हो। विवेक ने खुद ही बता दिया। उनकी मंगनी सुधा से हुई जो
एक टीचर है दिल्ली में रहती है
मानो जैसे आसमान फट गया हो।जिससे भाग कर इतनी दूर आया था
वही अब फिर से टकरा गई।
मेरे मुंह में निवाला नही जा रहा था
हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था क्या बोलूं क्या नही।
बस यही कहा विवेक मै घर जाना चाहता हूं
अंतिम भाग
रोहित अपने रूम में जा कर लेट गया। ये सोच रहा था की ऐसे चक्रव्यू में फंस गया।जिसमे से निकलना मुश्किल हो रहा था।
ना वो विवेक से धोखा कर सकता था ना वो सुधा के साथ धोखा होते देखना चाहता था मगर कैसे वो इस चक्रव्यू से बाहर आए।इसी उधेड़ बुन में लगा हुआ था उसके लिए दोनो जरूरी थे।सारा दिन इसी सोच सोच में गुजर गया।मगर कोई राह नजर नही आ रही थी।मगर वो हर हालत में इस स्थिति से निकलना चाहता था।
अगले दिन वो ऑफिस में गया।मगर मन कही और था।विवेक ने उसे अपने केबिन में बुलाया और पूछा कुछ हुआ क्या।मगर रोहित कोई जवाब नही दे सका। वैसे अनमने मन से काम खत्म कर घर आ गया।
कुछ दिन बाद उसकी बहन की भी शादी थी। तो उसने यही तरीका निकाला वो विवेक और सलोनी को बुला ले और इधर से सुधा भी आ जाए।कुछ ना कुछ समस्या का समाधान जरूर मिलेगा। रोहित ने विवेक और सलोनी को अपनी बहन की शादी का कार्ड दिया और आने के लिए जोर दिया। वो दोनो राजी हो गए।विवेक भी दिल्ली से ही था।रोहित अपने घर चला गया शादी की तैयारियों करने। वहा जाकर उसने सुधा को भी उसके स्कूल में जाकर कार्ड दिया।और आने के लिए request की मगर उसने विवेक के बारे में कुछ नही बताया।
अब शादी के दिन विवेक सलोनी के साथ दोपहर को पहुंच गया। वो सलोनी को अपने घर तो नही ले जा सकता था इसलिए उसने रोहित के घर सलोनी को छोड़ दिया। और अपने घर चला गया। रोहित ने अपने परिवार से मिलवाया और खुद काम में लग गया। शाम होते होते सुधा भी रोहित के घर आ गई। रोहित ने सलोनी और सुधा की मुलाकात करवा। अब वो दोनो बातचीत में लग गई। यहां पर नई कहानी बन गई।
सुधा को लग रहा था सलोनी रोहित की फ्रेंड है सलोनी को लग रहा था सुधा रोहित की फ्रेंड है कुछ वक्त बाद विवेक भी आ गया। सलोनी और सुधा को एक साथ देख कर उसके रंग उड़ गए। ये कैसे हो गया दोनो कैसे मिल गई।वो भाग कर रोहित के पास गया और पूछा ये माजरा क्या है उसने बताया सुधा उसकी बहन की सहेली है विवेक और रोहित दोनो उन दोनो के पास आ गए। सुधा विवेक को देख कर मानो अचंभित हो गई आप यहां कैसे। विवेक रोहित को समझा कर लाया था की सलोनी को बुला कर अंदर ले जा।
विवेक ने बताया कि रोहित उसका जूनियर है ऑफिस में। सुधा विवेक को देख कर बहुत खुश हुई। मानो मन की मुराद पूरी हो गई। मगर विवेक डरा हुआ था की कुछ गड़बड़ न हो जाए। वो सुधा को बोला उसे कोई जरूरी काम है कल बात करते हैं इतना कह कर वो वहा से चला गया।इतने में रोहित और सलोनी भी आ गए। सुधा ने बताया कि आपके फ्रेंड को जल्दी थी कोई काम याद आ गया।
इसलिए चले गए। सलोनी को बहुत बुरा लगा। विवेक उससे मिले बिना ही चला गया। सलोनी भी विवेक से नाराज हो गई और रात को ही फ्लाइट बैंगलोर वापसी चली गई।अगले दिन विवेक ने पहले सलोनी को कॉल किया उसने उठाया नही फिर उसने रोहित को कॉल किया और पूछा कुछ गड़बड़ तो नही हुई। रोहित ने कहा की सलोनी वापसी चली बंगलौर। और कुछ तो नही हुआ। फिर सुधा को कॉल किया और उससे बातचीत करने लगा। सुधा पूछती ये सलोनी कौन है कैसी है लड़की। विवेक डर गया कुछ हुआ क्या।
नही मुझे तो अच्छी लगी।ये रोहित की फ्रेंड है क्या। विवेक की सांस में सांस आया। और फटक से बोला हां हां दोनो अच्छे फ्रेंड है सुधा बहुत खुश और बोलती है सच में।ये तो बहुत अच्छी बात है फिर दोनो अपनी बात करने लगे। कुछ वक्त बाद सुधा ने रोहित को कॉल किया।
और कहा शादी को बाते करने लगी ।और फिर उसने कहा विवेक तुम्हारे सीनियर है मुझे तो कल पता लगा ।फिर कहा विवेक ने मुझे सब बता दिया सलोनी के बारे में। रोहित हैरान था की विवेक ने सब कुछ बता दिया फिर भी सुधा इतनी खुश कैसे हैं खैर ये समझ से परे था। मामला उलझता जा रहा था
रोहित भी शादी के बाद बैंगलोर चला जाता है।
अगले ऑफिस गया तो सलोनी ऑफिस में नही आई थी विवेक के केबिन में गया तो वो उदास सा बैठा था क्या हुआ बॉस विवेक ने कहा सलोनी नाराज हैं फोन भी नही उठा रही। रोहित ने कहा ये कितनी बात है मै करता हूं कॉल। रोहित ने कॉल किया पहली बार में कॉल उठा ली।क्या हाल है सलोनी रोने लग गई।क्या हुआ सलोनी ने कहा की मै हॉस्पिटल में हूं ऐसा क्या हो गया।सलोनी ने कहा वो प्रेगनेंट हैं।
उसकी वजह से चक्कर आ गया और चोट लग सिर में। ये सब विवेक स्पीकर पर सुन रहा था विवेक के माथे से पसीना बहने लगा। क्या करू कैसे करू। विवेक रोहित को बोलता यार कुछ करो। रोहित बोलता है मै जाता हुं हॉस्पिटल आप टेंशन ना लो। विवेक कहता है तुम सलोनी को बोल देना विवेक मीटिंग के लिए बाहर गया हुआ है। रोहित हॉस्पिटल में सलोनी से मिलता। सलोनी गले लग कर रोने लग जाता है अब क्या होगा रोहित। मै क्या करू।
विवेक कहा है रोहित बोलता है वो बाहर गया है मीटिंग के लिए।तुम परेशान मत हो सब ठीक होगा।
उसे बेड पर लिटा कर dr से मिलने चला गया उसी दौरान सुधा कॉल करती है रोहित तुम मिल कर भी नही गए। रोहित बोलता है अभी मै हॉस्पिटल में हूं बाद में बात करता हूं सुधा पूछती है क्या हुआ।रोहित ने बताया सलोनी बीमार है और एडमिट है। सुधा ने फोन कट कर के
सलोनी को फोन मिला लिया। सलोनी उसके सामने भी रोने लग गई। और सारी बात बता दी। सुधा को भी झटका लगा। उसके मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल आए रोहित के लिए। उसकी नजर में गिर चुका था।एक गलतफैमी की वजह से सब कुछ गड़बड़ हो गई। सुधा को बहुत बुरा लग रहा था वो रोहित को कितना अच्छा समझ रही थी वो क्या निकला। रोहित सलोनी को छुट्टी दिलवा कर उसके रूम पर छोड़ देता है और खुद विवेक के घर आ जाता है और उसे समझाता है की अब कैसे करना चाहिए।
विवेक रोहित को बताता है सुधा का फोन आया था और तुम्हारे बारे में बुरा भला बोल रही थी। रोहित अचंभित हो गया मैने क्या किया अब। विवेक ने बताया सुधा को लग रहा है सलोनी तुम्हारी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी वजह से प्रेगनेंट हुई है रोहित की तो हवाइयां उड़ गई। सांस सूख गई। यार तुमने तो बताना था सच उसे।विवेक ने कहा मेरी हिम्मत नही हुई।रोहित गुस्से में आ कर बोला यार मैं तो आपके लिए भागदौड़ कर रहा हू आपने मेरी सफाई भी ना पेश की।विवेक ने कहा की वो पहले ही डरा हुआ है इसलिए समझ नही आया क्या करे।
रोहित के ख्वाब टूट गए हो जैसे। विवेक उससे माफी मांगता है रोहित विवेक को कहता है उसे सलोनी से मिलना चाहिए और उससे सॉरी मांगनी चाहिए। विवेक हिम्मत करके अगले दिन सलोनी से मिलने जाता है सलोनी को प्यार से गले लगा एक बोलता है सलोनी जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा। सलोनी विवेक को माफ कर देती। कुछ दिन बाद विवेक किसी को बताए बिना सलोनी से शादी कर लेता है ये बात सिर्फ रोहित को मालूम होती है उधर सुधा और विवेक की शादी की तारीख नजदीक आ जाती है।
सलोनी रोहित को कहती है की वो सुधा से शादी कर ले। रोहित सलोनी को सारी कहानी बयां करता कैसे वो छोटी गलतफैमी की वजह से सुधा की नजरो से गिर चुका है वो सलोनी को विवेक और सुधा के रिश्ते के बारे में बताता है सलोनी गुस्सा तो बहुत आता है मगर अब अपना गुस्सा पी जाती है वो कहती हैं अब विवेक ही सब कुछ ठीक करेगा। विवेक भी वहा आ जाता है सलोनी उसे डांटती भी है और कहती हैं रोहित को तुमने बलि का बकरा बना दिया। और खुद शरीफ बन गए। तुम ही सब ठीक करो अब।
विवेक कहता मै कैसे करू। सुधा को फोन करती है और इधर उधर की बातो के बाद रोहित का जिक्र करती है सुधा उसके बारे में बात नही करना चाहती थी सलोनी सुधा को सारी कहानी बता देती है सुधा रोने लग जाती है और फोन काट देती है सलोनी विवेक को साथ लेकर सुधा से मिलने पहुंच जाती है विवेक सुधा से माफी मांगता है सलोनी भी उससे माफी मांगती है उसने कहा की उसे जरा सा भी मालूम होता तो वो कभी भी विवेक के करीब ना जाती है वो इस सब के लिए शर्मिंदा हैं सुधा एक समझदार लड़की थी वो समझ गई जिस हालत में अब सलोनी है दोनो के पास शादी के इलावा और कोई चारा नहीं था।
वो सुधा को रोहित से शादी के लिए मनाते हैं वो मना एक देती है और कहती हैं उसने रोहित को बहुत बुरा भला कहा है अब वो उसका सामना नही कर सकती है बाकी ये फैसला अब घरवाले ही करेंगे। विवेक बोलता है वो जाकर उसके मां बाप से पैरो में गिर कर माफी मांगना चाहता है और रोहित के लिए सुधा का हाथ मांगना चाहता है विवेक अपने मां बाप और सलोनी के मां बाप को भी बुला लेता है सभी एक साथ सुधा के घर जाते हैं और सारी कहानी बयां कर देते हैं काफी देर हंगामा भी होता है आखिर वो सब मान जाते हैं मगर एक शर्त होती। एक दोनो की शादी एक साथ होगी। सब राजी हो जाते हैं।
सुधा स्कूल के बस स्टॉप पर जाती है
रोहित वही आकर उसे purpose करता है सुधा उस गुलाब को रोहित को दे देती है
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